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आरक्षण बगैर पदोन्नति प्रक्रिया बंद कराने 5000 से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों ने रायपुर में वीआईपी रोड से कलेक्टोरेट तक बनाई मानव श्रृंखला | ऑनलाइन बुलेटिन

रायपुर | (ऑनलाइन बुलेटिन) | राज्य भर के अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के अधिकारी-कर्मचारी व सामाजिक संगठन के लोग वर्तमान में बगैर आरक्षण के पदोन्नति प्रक्रिया को बंद कराने मानव श्रृंखला बनाकर शासन के प्रति विरोध प्रकट किया। मानव श्रृंखला वीआईपी रोड से कलेक्टोरेट तक चारों ओर रही। लगभग 5000 से अधिक अधिकारी कर्मचारी एवं समाज के सदस्य शामिल रहे।

 

पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में प्रक्रियाधीन रिट याचिका क्र.9778/2019 विष्णु प्रसाद तिवारी वर्सेस स्टेट आफ छ.ग. व जनहित याचिका क्र 91/2019 एस.संतोष कुमार वर्सेस स्टेट आफ छ.ग के अंतिम निर्णय आने तक अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्गों के मूलभूत संवैधानिक अधिकारों के संरक्षण एवं भारत के संविधान आर्टिकल 16(4) क, व 335 के अनुपालन में शिक्षा विभाग द्वारा की जा रही पदोन्नति प्रकिया पर रोक लगाने विरोध दर्ज किए।

 

स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 6 जनवरी 2022 को प्रधान पाठक प्राथमिक शाला शिक्षक तथा प्रधानपाठक पूर्व माध्यमिक शाला के पदों पर एल.बी.संवर्ग के शिक्षकों का 31 जनवरी 2022 तक पदोन्नति करने आदेश जारी किया गया हैं। वर्तमान के अनु.जाति व जनजाति पदोन्नति में आरक्षण मामला कोर्ट में सुनवाई हेतु प्रक्रियाधीन है। ऐसी स्थिति में पदोन्नति में जल्दबाजी करना अनुचित होगा।

 

आरक्षण रोस्टर के बगैर पदोन्नति राज्य के अनुसूचिंत जाति व जनजाति वर्ग के शिक्षकों को स्वीकार्य नहीं है। क्योंकि आरक्षण रोस्टर के आधार पर अनु.जाति के 13 प्रतिशत व जनजाति वर्ग के 32 प्रतिशन हिस्सें में आते है। शिक्षा विभाग में होने वाली लगभग 40,000 पदों में 18,000 पद आरक्षण रोस्टर के आधार पर अनु.जनजाति व अनु.जाति के हिस्से में आएंगे।

 

राज्य के बहुसंख्यक अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग पिछले डेढ़ साल से पदोन्नति में आरक्षण बहाली हेतु विभिन्न माध्यमों से शासन प्रशासन तक अपनी बात पहुंचाते आ रहे हैं।पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने सुप्रीम कोर्ट के शर्तों के अनुरूप माननीय मनोज कुमार पिंगुआ के अध्यक्षता में गठित क्वांटिफिएबल डाटा कमेटी की रिपोर्ट मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन व सामान्य प्रशासन विभाग को प्रस्तुत कर 08 अगस्त 2021 को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रीमंडल के बैठक में अनु.जाति व जनजाति वर्गो के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व की अनुशंषा सहित पदोन्नति में आरक्षण जारी रखने अनुमोदित कर दिया गया है।

 

राज्य सरकार की ओर से पदोन्नति में आरक्षण केस की पैरवी हेतु नियुक्त एड.मनोज गोरकेला सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दावा उच्च न्यायालय बिलासपुर में प्रस्तुत कर दिया है। अगली सुनवाई 11 जनवरी 2022 को निर्धारित है। एक-दो सुनवाई में इस केस की अंतिम निर्णय आ जाएगी।

 

रिट याचिका क्र.9778/2019 विष्णु प्रसाद तिवारी वर्सेस स्टेट आफ छ.ग. व जनहित याचिका क्र 91/2019 एस.संतोष कुमार वर्सेस स्टेट आफ छ.ग मामलें में हस्तक्षेपकर्ता काउंसिल को प्राप्त रिपोर्ट की प्रति के आधार पर क्वांटिफिएबल डाटा कमेटी की रिपोर्ट में उल्लेखित जानकारी के अनुसार अनु.जनजाति के 52प्रतिशत व अनु.जाति के 48 प्रतिशत पद शासकीय सेवाओं में रिक्त है।शिक्षा विभाग अंतर्गत तृतीय श्रेणी कें पदों में अनु.जनजाति के 58प्रतिशत व अनु.जाति के 65 प्रतिशत पद रिक्त है।

 

छत्तीसगढ़ लोकसेवा पदोन्नति नियम 2003 में उल्लेखित आरक्षण रोस्टर 100 बिंदु में से 45 बिंदु एससी-एसटी वर्गों के लिए आरक्षित है। माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर ने रोस्टर बिंदु को रोक लगाया है न कि खत्म किया है लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग एवं अन्य विभाग ने उच्च न्यायलय के आदेश को मनमाफिक परिभाषित कर सारे रिक्त पदों को अनारक्षित (वरिष्ठता) बिंदु में पदोन्नत कर अनुसूचित जाति व जनजाति वर्गों के आगामी वर्षों में पदोन्नति के लिए रास्ते बंद कर दिए है। क्योंकि सारे पद भर जाएंगे तो आगामी पदोन्नति के लिए पद खत्म हो जाएंगे। 100 बिंदु रोस्टर में क्रमशः दूसरा, चौथा छठवां व आठवां पद एससी-एसटी वर्ग के लिए है। छ.ग. लोक सेवा भर्ती नियम 1994 के अनुसार आरक्षण रोस्टर के पदों को किसी भी रीति में अन्य वर्गों में नहीं जा सकता।

 

सीधी भर्ती में पहले अनारक्षित पद भरा जाता है ।तत्पश्चात आरक्षित पद क्रम अनुसार भरा जाता है ।अनारक्षित बिंदु के पदों में सामान्यतः सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी चयन होते हैं। इसलिए वरिष्ठता क्रम में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों का नाम ऊपर होता है ।एससी-एसटी वर्गों की वरिष्ठता सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों से नीचे होती है।उच्च पदों में पदोन्नति के पद आधी हो जाती है।अनारक्षित वर्ग में अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के अधिकारी कर्मचारी स्थान नहीं बना पाते ।वर्तमान पदोन्नति अनारक्षित बिंदु में होने से गैर एससी-एसटी पदोन्नत हो रहे हैं।क्योंकि वरिष्ठता में एससी-एसटी का स्थान नगण्य है। वर्तमान पदोन्नति से हम एससी-एसटी वर्गों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

 

भारत का संविधान आर्टिकल 16 (4) क पदोन्नति में आरक्षण देने का प्रावधान करता है एवं आर्टिकल 335 शासकीय सेवाओं और पदों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्गों के दावे के निपटान करने का प्रावधान करता है। साथ ही संविधान के भाग 4 में निहित राज्य के नीति निदेशक तत्व आर्टिकल 46 अनुसूचित जातियों एवं जनजाति वर्गों के हितों की अभिवृद्धि राज्य शासन को सुनिश्चित करने के लिए कहता है ।संविधान में एससी-एसटी वर्गों के मौलिक अधिकारों के प्रावधान होने के बावजूद अधिकारों को नजरअंदाज कर रहे हैं।

 

अतः अनुसूचित जाति व जनजाति वर्गों के लोक नियोजन में अवसर की समता का मौलिक अधिकारों का संरक्षण व शासकीय सेवाओं में एससी-एसटी वर्गों के दावे का ध्यान रखते पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में प्रक्रियाधीन रिट याचिका क्र.9778/2019 विष्णु प्रसाद तिवारी वर्सेस स्टेट आफ छ.ग. व जनहित याचिका क्र 91/2019 एस.संतोष कुमार वर्सेस स्टेट आफ छ.ग के अंतिम निर्णय आने तक अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्गों के मूलभूत संवैधानिक अधिकारों के संरक्षण एवं भारत के संविधान आर्टिकल 16(4)क, व 335 के अनुपालन में शिक्षा विभाग द्वारा की जा रही पदोन्नति प्रकिया पर रोक लगाने ही प्रमुख रूप से विरोध रहा है।

 

मानव श्रृंखला अनुसूचित जाति जनजाती संघर्ष मोर्चा विभिन्न सामाजिक व कर्मचारी संगठनों के साझा मंच की ओर से अयोजित की गई थी।

 

©उक्ताशय की जानकारी विनोद कुमार ने दी।


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