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सहारा इंडिया के निवेशकों के लिए खुशखबरी! निवेशकों के पैसों के लेकर आई बड़ी अपडेट | Sahara India Refund

नई दिल्ली | [नेशनल बुलेटिन] | SEBI also took all the action against Sahara India but even after this the money of the investors is stuck. Some had saved their hard earned money for their daughter’s marriage and some for their old age. Crores of people across the country had invested money in Sahara Group companies. Today the condition is such that leave aside the interest, they are not even getting back the principal amount deposited by them.

 

Online bulletin dot in: सेबी ने सहारा इंडिया के खिलाफ तमाम कार्रवाई भी की लेकिन इसके बाद भी निवेशकों का पैसा फंसा हुआ है. किसी ने बेटी की शादी तो किसी ने अपने बुढ़ापे के लिए अपनी मेहनत की कमाई जमा की थी. देशभर के करोड़ों लोगों ने सहारा ग्रुप की कंपनियों में पैसा लगाया था. आज हालत ये है कि उन्हें ब्याज तो छोड़िए उनका जमा मूलधन भी वापस नहीं मिल पा रहा है. (Sahara India Refund)

Sahara India Refund

निवेशक अपने जमा किए गए रुपयों को वापस पाने के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं. सहारा कई तरह के प्लान चलाता था और दूसरों की तुलना में ज्यादा रिटर्न देता था. ये प्लान काफी फ्लेक्सिबल थे. लोगों को एफडी में सालाना 11 से 12 फीसदी रिटर्न देने का वादा किया जाता था.

 

इन योजनाओं में लोगों को कई सालों तक रिटर्न मिला भी, इसके चलते लोगों का सहारा पर भरोसा बढ़ता चला गया, लेकिन बाद में लोगों को न तो रिटर्न मिला और न ही उनका पैसा. सहारा की स्कीम्स में निवेश करने वाले आज तक परेशान हैं. अभी तक निवेशकों को उनके रुपये नहीं मिल पाए हैं. (Sahara India Refund)

 

चार कोऑपरेटिव सोसाइटीज में फंसा है पैसा

 

सहारा ग्रुप की चार कोऑपरेटिव सोसाइटीज में लंबे समय से लोगों का पैसा फंसा हुआ है। ये सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी, सहारा यूनिवर्सिल मल्टीपर्पज सोसाइटी, हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी हैं।

 

मिनिस्ट्री ऑफ कोऑपरेशन की तरफ से पेश एडिशनल सॉलीसीटर जनरल एश्वर्य भाटी ने कोर्ट को बताया कि इन कोऑपरेटिव सोसाइटीज ने 9 करोड़ से ज्यादा निवेशकों से 86,673 करोड़ रुपये इकट्ठा किए थे। इसमें से 62,643 करोड़ रुपये एंबी वैली में निवेश किए गए थे।

 

सहारा पर आरोप लगे हैं कि उसने निवेशकों का पैसा गलत तरीके से इस्तेमाल किया। सहारा ग्रुप की कंपनियों की आपस में सांठगांठ थी। कंपनियों ने निवेशकों के पैसों की लॉन्ड्रिंग की और उसे एक एसेट में लगाया। (Sahara India Refund)

 

नवंबर 2010 में लगी रोक

 

सहारा ग्रुप की तरफ से जब आईपीओ के लिए सेबी में आवेदन किया गया तो गड़बड़ियों का पता चला। सहारा ने सेबी में DRHP दाखिल किया था। सेबी ने इसकी जांच की तो कई खामियां मिलीं। इसके बाद से सहारा पर शिकंजा कसता चला गया।

 

24 नवंबर 2010 को सेबी ने सहारा ग्रुप पर किसी भी तरीके से जनता से पैसा जुटाने पर रोक लगा दी। जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो उसने 15 फीसदी सालाना ब्याज के साथ निवेशकों का पैसा लौटाने को कहा। यह राशि 24,029 करोड़ रुपये थी। (Sahara India Refund)

 

रेकॉर्ड नहीं मिला तो अटक गया लोगों का पैसा

 

सेबी को 53,642 बॉन्ड सर्टिफिकेट या पासबुक से जुड़े 19,644 आवेदन मिले। ये 81.70 करोड़ रुपये के लिए थे। सेबी ने इनमें से 48,326 बॉन्ड सर्टिफिकेट/पासबुक वाले 17,526 निवेशकों को 138.07 करोड़ रुपये की रकम रिफंड कर दी। इसमें 70.09 करोड़ रुपये मूलधन और 67.98 करोड़ ब्याज था। जो आवेदन बचे उन्हें रद्द कर दिया गया क्योंकि सहारा द्वारा दिये दस्तावेजों में उनका रेकॉर्ड नहीं मिल पाया था। (Sahara India Refund)

 

सहारा-सेबी फंड में रिफंड के बाद हैं 23,937 करोड़

 

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में सहारा हाउसिंग और सहारा रियल एस्टेट को 25,781 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया था। दोनों कंपनियों ने मिलकर मिलकर 15,569 करोड़ रुपये जमा कराए हैं। इस पर 9,410 करोड़ रुपये ब्याज बना है।

 

इस तरह सहारा-सेबी फंड में कुल 24,979 करोड़ रुपये जमा हुए। रिफंड के बाद इस फंड में 23,937 करोड़ रुपये पड़े हुए हैं। सरकार इसी फंड में से 5,000 करोड़ रुपये निकालकर निवेशकों को देना चाहती है। (Sahara India Refund)

 

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