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कैसा प्रदर्शन | ऑनलाइन बुलेटिन

©द्रौपदी साहू (शिक्षिका)

परिचय– कोरबा, छत्तीसगढ़


 

 

युद्ध कोई समाधान नहीं होता, बल्कि विनाश होता है। आपस के तकरार से जो भयंकर युद्ध छिड़ा है वह प्रकृति और मानव के लिए बहुत ही विनाशकारी है।

 

वर्तमान में रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में दोनों देशों के हजारों लोग मारे जा चुके हैं और यह अब भी जारी है। यूक्रेन की जमीं लाल हो चुकी है। न जाने और कितने निर्दोष मारे जाएंगे? एक झुकना नहीं चाहता, दूसरा रूकना नहीं चाहता! आपसी समझौते से कोई हल निकालना नहीं चाहते। अपनी-अपनी सेना और विचार को लेकर दोनों में घमंड है। इस घमंड की वजह से निर्दोष लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। एक कहता है कि- “हमने ..इतने‌ रूसी को मार गिराया।” दूसरा कहता है “हमने …. इतने यूक्रेनियों को मार गिराया।” ऐसा लगता है जैसे दोनों अपनी-अपनी शक्तियों को आज़मा रहे हैं।

 

अलग-अलग देशों के हजारों और लाखों लोग अपने भविष्य को उज्जवल ‌करने‌ के लिए अलग – अलग क्षेत्रों में अध्ययन‌ के लिए यूक्रेन गए हुए हैं, लेकिन आज उनका वर्तमान ही अंधकारमय हो गया है। अपनी जान बचाने के लिए हजारों लोग ‌अपने देश लौट आए हैं और हजारों लोग अभी तक फँसे हुए‌ हैं। सभी देश यूक्रेन में फँसे अपने-अपने देश के नागरिकों को अपने देश वापस ‌लाने की कोशिशों में लगे हुए हैं, लेकिन यूक्रेन के नागरिक कहाँ जायेंगे? क्या उनके विषय में कोई देश सोच रहा है?

 

जब परिस्थितियाँ अच्छी होती हैं तो सभी बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, एक-दूसरे की मदद करने, साथ देने और “वसुधैव कुटुंबकम्” की बात करते हैं, लेकिन,, जब परिस्थितियाँ बिगड़ने लगे या बिगड़ जाए तो सभी उससे दूर भागते हैं। कोई भी मदद करने‌ या साथ देने के लिए नहीं आता। सिर्फ सांत्वना देते रहते हैं कि धैर्य और हिम्मत से काम लें!

 

अपनी शक्ति का प्रदर्शन करके रूस बहुत खुश है । यूक्रेन भी अपने-आप को कम नहीं समझता है, लेकिन फिर भी यूक्रेन के राष्ट्रपति को अपनी जान बचाने के लिए अपना देश छोड़ना पड़ा। लोग क्रोध में अपना आपा खो बैठते हैं उसी तरह रूस भी अपना आपा खो बैठा है और उसे युद्ध के अलावा कुछ नज़र ही नहीं आ रहा है। युद्ध से जो क्षति हो रही है, इसका उसे ज़रा भी अफसोस नहीं है। तब तक युद्ध चलता रहेगा, जब तक क्रोध और प्रतिशोध की ज्वाला उनके मन में जलते रहेंगे। न जाने कब उनमें मानवता जागृत होगी और युद्ध के बजाय विश्व शांति की सोचेंगे।

 


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