32 साल पहले हुई डकैती में अब आया कोर्ट का फैसला, 7 साल की सश्रम कारावास की सुनाई सजा, जुर्माना भी, 3 आरोपियों में से एक की मौत, दूसरा लापता, तीसरे को सजा | ऑनलाइन बुलेटिन
कन्नौज | [कोर्ट बुलेटिन] | 32 साल पहले हुई एक डकैती में कोर्ट ने अब फैसला सुनाया गया है। कोर्ट ने आरोपियों को दोषी मानते हुए उन्हें 7 साल की सश्रम कैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा 5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। ये मामला छिबरामऊ का है। तब यह फर्रुखाबाद का हिस्सा हुआ करता था।
17 जून साल 1990 को 3 बदमाशों ने डकैती की थी। जो उस वक्त काफी सुर्खियों में रहा था। बदमाशों ने छिबरामऊ के पूर्वी बाईपास के पास रहने वाले ओमप्रकाश सिंह के घर डकैती डाली थी। तीनों बदमाशों ने ओमप्रकाश सिंह और उनकी पत्नी को बंधक बना लिया था और घर में रखा सारा माल लूट लिया था। इसके बाद बदमाशों ने फायरिंग कर आस-पास के इलाकों में दहशत फैला दी।
ओमप्रकाश सिंह ने इस मामले में छिबरामऊ कोतवाली में 2 नामजद और 1 अज्ञात के खिलाफ डकैती का मामला दर्ज कराया था। छिबरामऊ के ही रहने वाले धर्मवीर गुप्ता और हरिश्चंद्र को इस मामले में नामजद किया गया। इसके बाद पुलिस ने दोनों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट सौंपी और इस मामले में 4 गवाहों पेंश किया।
32 साल बाद कोर्ट का आया फैसला
शनिवार को इस मामले के 32 साल बाद अदालत ने इस पर फैसला सुनाया। फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वितीय (एंटी डकैती) विशेष न्यायाधीष शिवकुमार तिवारी ने धर्मवीर गुप्ता को दोषी करार देते हुए 7 साल सजा सुनाई। इसके अलावा 5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। वहीं जुर्माना न अदा करने पर 6 महीने की अतिरिक्त कैद रहना पड़ेगा।
3 आरोपियों में से एक की मौत, दूसरा लापता, तीसरे को सजा
छिबरामऊ में डकैती करने वाले 3 लोग थे। जिसमें से एक हरिश्चंद्र की ट्रायल के दौरान ही मौत हो गई। दूसरा अज्ञात कौन था इसका आज तक पता नहीं चल पाया। वहीं तीसरे आरोपी धर्मवीर गुप्ता को सजा हुई है।
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