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समर शंख फूंक दो | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©अशोक कुमार यादव

परिचय- राष्ट्रीय कवि संगम इकाई के जिलाध्यक्ष, मुंगेली, छत्तीसगढ़.


 

 

जंग जीत के लिए समर शंख फूंक दो।

महाज्ञान युद्ध के लिए बिगुल बजा दो।।

 

कलम हथियार लेकर उतरो मैदान में।

सवाल सैनिकों को भेजो शमशान में।।

 

प्रतिभावान अंतिम सांस तक लड़ते रहो।

आखिर में मेरी ही होगी जय कहते रहो।।

 

प्रतिरूप बनाकर घेर लो सर्व रणक्षेत्र को।

फैलाओ चहुंओर अपने दिव्य त्रिनेत्र को।।

 

हुंकार रहे हैं दैत्य विशाल काय शरीर वाले।

चुनौतियां दे रहे हैं बार-बार बली मतवाले।।

 

धारण कर बुद्धि में धारदार अस्त्र-शास्त्र।

परीक्षा कुरुक्षेत्र में छोड़ दे ज्ञान ब्रह्मास्त्र।।

 

गुरु से जो सीखा तूने किया था अभ्यास।

कौशलों से परिपूर्ण स्वयं पर रख विश्वास।।

 

एक प्रहर में हो जाए प्रतिद्वंदी का पराजय।

साम, दाम, दण्ड और भेद से होगी विजय।।

 

अंतिम तेरा लक्ष्य है स्वर्ण मंजिल को पाना।

सफलता सीढ़ी की अंतिम पायदान सुहाना।।

 

सिर्फ दिखाई देगा तुम्हारे कदमों के निशान।

चलेंगे तुम्हारे नक्शे कदम पर सारा जहान।।

 

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