देवरी तिहार | ऑनलाइन बुलेटिन
©कलेश्वर साहू, शिक्षक
परिचय- बिल्हा, छत्तीसगढ़
छत्तीसागढ़ी बाल गीत
आगे आगे संगवारी देवारी तिहार,
लीपे पोते महतारी सब घर दुवार।
कातिक अमावस होथे अँधियार ,
दीया जला के करबो उजियार ।
घर-घर जाके दीया अमराबो जी,
जुरमिल जम्मों खुशी मनाबो जी।
सुग्घर पूजा होथे लक्ष्मी दाई के ,
भोग लगाबो मिठाई अउ लाई के।
देख ताक फोड़हू तुमन फटाका ,
नइ तो होही जी अड़बड़ घाटा ।
आगे आगे संगवारी देवरी तिहार,
लीपे पोते महतारी सब घर दुवार।
आप जन्मों झन ल देवारी तिहार के गाड़ा- गाड़ा बधाई अउ शुभकामना…
आपके अपनेच