दीपावली | Onlinebulletin
©इंदु रवि, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश
दीपावली में सफाई कर लेना
अपने दिमाग़ को।
जैसे सफाई करते हो अपने आवास को।
कोने – कोने से करना सफाई।
देखना कहीं छुपी न रह जाय
कुदृष्टि और बुराई।
छल, दम्भ, दवेश्, रूपी कीड़ों पे
थोड़ा सूक्ति रूपी
कीटनाशक भी मार लेना।
अज्ञानता, अंधविश्वास,
असभ्यता रूपी झोल भी झार लेना।
हां सुनो दीपावली है
ज्ञान रूपी पानी से
दिमाग़
और मन की गंदगी
अच्छे से धो लेना।
हाँ सुनो, दीपावली है
सुविचारों का गुलदस्ता बना,
मन मस्तिष्क सजा लेना।
अपने झूठ और फरेब से,
किसी का दिल न दुखा सको,
इसलिए दिल में सत्य रूपी
दीपक जला लेना।
थोड़ा अपने अंदर एकता,
समता, करुणा,
मैत्रि रूपी भूक-भुकवा
लाइट जला लेना।
तुम्हारा शरीर रूपी घर बहुत
सुंदर लगेगा।
सभी को पसंद आएगा।
दीपावली है घर के साथ
ना भूलना खुद को
भी सफाई करना।
दिवाली है मिठाई तो बांटोगे ही
सबको अच्छा लगेगा।
पर हर रोज
मिट्ठी वाणी रूपी मिठाई
बांटना भी मत भूलना।
मानव हो तो
मानवता मत भूलना।
अपने अंदर
ज्ञान का दीपक जलाकर।
औरों को भी प्रकाशित करना
मत भूलना।।