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सम्राट अशोक | Onlinebulletin

©इंदु रवि, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश

परिचय- जन्म स्थान औरंगाबाद, विगत 10 वर्षों से काव्य लेखन कार्य, राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचना, लेख, कविता आदि का प्रकाशन, शिक्षा – एमए (हिंदी साहित्य), एमए (दलित साहित्य-अंबेडकर विचारधारा), बीएड, यूजीसी नेट, सम्मान : कई साहित्यिक संस्थाओं से पुरस्कार/सम्मान प्राप्त.


 

 

मौर्य काल के महान सम्राट

जीवन में था बड़ा ठाट बाट

बिंदुसार का बेटा

धर्मा थी उनकी माता

नाम था उनका अशोक

शुरुआत में दिए सबको शोक

दो कामों से दुनिया में प्रसिद्ध हुए।

करके पश्चाताप फिर बौद्ध हुए।

एक कलिंग विजेता।

दूसरा महान बौद्ध धम्म नेता।

दो सौ तिहतर ईसवी पूर्व से

दो सौ बत्तीस ईसवी पूर्व तक

राज किये

बौद्धीष्ट बनने के बाद

परहित खूब काज किये

पंचशील का गुण अपनाकर

सब से सौम्य व्यवहार किए।

हजारों बौद्ध स्तूपों का कराया निर्माण

क्रूर अशोक से धर्म अशोक का मिला मान

ईरान से लेकर वर्मा तक

था इनका साम्राज्य।

तभी तो

इतिहास में मौर्य काल का

गुण गाया जाता है आज।

अशोक ने मानवता पे किए खूब विचार।

भावी पीढ़ियों को भी भेज दिए, करने बुद्ध प्रचार

करने बौद्ध प्रचार, बुद्ध ही एक सहारा

बिन बौद्ध के मानव, न मिले किनारा

सम्राट अशोक ने हीं सारनाथ में

अशोक स्तंभ बनवाए।

जो भारत के राष्ट्रीय चिन्ह कहलाए।

महान अशोक ने कहा

 

धम्म विजय तुम भी पा लो।

शस्त्रों के मार्ग को छोड़कर

 

धम्म के मार्ग अपना लो।

कहे इंदु इतिहास में, कितने लोग सम्राट बनें।

पर महान अशोक सा न कोई विराट बनें।

अशोक हो गए शोक रहित

किए सबका कल्याण।

महान बौद्धिष्ट बन,

बढ़ाएं देश का मान।।


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