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अशोक कुमार यादव को मिला साहित्य-श्री सम्मान | Onlinebulletin

©अशोक कुमार यादव ‘शिक्षादूत’, मुंगेली, छत्तीसगढ़


 

लखनऊ / भोपाल | Onlinebulletin | संकीर्तन समोत्थान समिति मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश द्वारा 27 अक्टूबर 2021 दीपमालिका विषय पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। काव्य गोष्ठी में भारत के सभी राज्यों के कवि एवं कवियत्रियां सम्मिलित हुए। इस काव्य गोष्ठी में कवि अशोक कुमार यादव, सहायक शिक्षक शिक्षक नगर मुंगेली छत्तीसगढ़ द्वारा कविता ‘दीपमालिका’ प्रस्तुत किया गया। इस कविता प्रस्तुति हेतु ‘साहित्य-श्री सम्मान’ से सम्मानित किया गया।

   दीपमालिका   

 

आप सभी को दिपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

समुद्र मंथन से प्रकट हुई लक्ष्मी, लेकर धन, समृद्धि, वैभव ऐश्वर्य।

भक्त बाधाओं को दूर करने, गणेश,शारदा और कुबेर का शौर्य।।

विष्णु की बैकुंठ में वापसी, प्रसन्न पद्मा देती सुख का उपहार।

वनवासी राम अयोध्या आए, कृष्ण ने किया था नरकासुर संहार।।

हरि ने नरसिंह रूप धारण कर, हिरण्यकश्यप का किया था वध।

प्रसन्न हो घी के दीए जलाओ, दीपावली त्यौहार ज्योतिर्मयी अगाध।।

यम और नचिकेता की कथा प्रसंग, सच्चा धन विरुद्ध क्षणिक धन।

तृतीय दिवा कृच्छ साधना में बैठा, जन्म, मरण, आत्मा, ब्रह्म प्रश्न जीवन।।

महावीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति, गौतम गणधर को लब्ध हुआ ज्ञान।

दिव्य स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास, हरगोविंद सिंह बंदीगृह छुड़ान।।

बुराई पर अच्छाई की उत्सव, अंधकार पर प्रकाश की जीत।।

अज्ञान पर ज्ञान की विजय, निराशा पर आशा की अचल रीत।।

योग, वेदांत और दर्शन का विश्वास, शुद्ध, अनंत और शाश्वत आत्मा।

असत्य पर सत्य की विजय, शरीर और मन से परे प्रभु परमात्मा।।

घर,आंगन को करो रंग-रोगन, विविध वस्तुओं का करो खरीदारी।

स्वयं खुश होकर पर को खुशी दो, हम सबकी है सकल जिम्मेंदारी।।

हर्षित मन, आंगन में रंगोली बनाओ, दीपावली है दीपों का त्यौहार।

गगन गूंजे ऐसा पटाखा फोड़ो, नए-नए कपड़े पहन करो श्रृंगार।।

ना करो प्रदूषित तुम प्राणवायु को, जीवन जीना यहां होगा दुभर।

पुरातन संस्कृति में धर्मांध जग, अम्लीय वर्षा, वैश्विक ताप का असर।।


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