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यही सबकुछ जानकर भी…

©गायकवाड विलास

परिचय- लातूर, महाराष्ट्र


 

वाणी में मिठास,नीतियां कुछ और है,

यही इस ज़माने का नया अंदाज है ।

बदले हुए इस जहां में देखो तुम ,

परदे के पीछे वो कौन लोग है ?

 

शान्ति का पैगाम उन्हें पसंद नहीं,

बदल जाएं जमाना वो चाहते नहीं।

वो ही फैलाते हैं दिलों में नफरतें,

परदे के पीछे वो कौन लोग है ?

 

सभी को मिले यहां मान सन्मान,

ऊंच-नीच नहीं है वो कोई इन्सान।

इसी विचारधाराओं को बदलनेवाले,

परदे के पीछे वो कौन लोग है ?

 

विकृत मानसिकता के जो है पुजारी,

जिन्हें आज भी चाहिए वो गुलामगिरी।

संविधान की चोट से घायल हुए जो,

परदे के पीछे वो कौन लोग है ?

 

न्याय,समता और बंधुता जिन्हें नहीं भांति।

जिन्हें हंसती हुई भूमि देखी नहीं जाती।

वो ही फैलाते है अराजकता इस संसार में,

परदे के पीछे वो कौन लोग हैं ?

 

अब तो समझ जाओ मेरे देशवासियों,

कुछ मुट्ठीभर लोगों की है ये नीयत।

उन्हीं के सीने में लगी है आग आज भी यहां पर,

परदे के पीछे वो कौन लोग है – -यही सबकुछ जानकर भी ये जमाना चुप क्युं है ?

 

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