जिंदगी की ये हकीकत | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©गायकवाड विलास
जिंदगी की ये हकीकत है बड़ी ही न्यारी,
कभी गमों की रंजिशे तो कभी है वो सुख भरी।
ख़ुशी के पल लगते है हर पल अधूरे,
ये कैसी लगी है सभी को मोह की बिमारी।
ख्वाब होते नहीं खत्म और मिलती नहीं राहत,
धन की प्यास ही बनी देखो यहां सभी की चाहत।
वही लालसा छीन लेती है मन की शांति और सुकून,
ऐसे में ही उजड़ जाता है वो हरे-भरे जिंदगी का चमन।
अपने गमों को देखकर ही कोसों मत उस जिंदगी को,
ये सारा संसार तो ना जाने कितने गमों से भरा है।
जो मिला नहीं शायद वो तकदीर में नहीं था,
क्योंकि आशा और निराशाओं से ही भरी ये जिंदगी की मझधार है।
कहीं पर हंसती है खुशियां,कहीं पर छाई है उदासी,
तृप्त नहीं होती ये जिंदगी,जो सदियों है यहां प्यासी।
ये धरती भी खुशहाल नहीं है यहां पर,
वहां भी कहीं हरी-भरी हरियाली और कहीं पर है उजड़ा हुआ मंज़र।
सुखों के पलों को ही याद रखकर जीना है हमें,
वही पर जिंदगी के लिए नई प्रेरणा बन जाते है।
कदम-कदम पर सभी के लिए इम्तिहान है ये जिंदगी,
इसीलिए मिली खुशियों से ही इस जिंदगी को सजाना है।
जिंदगी की ये हकीकत है बड़ी ही न्यारी,
कभी गमों की रंजिशे तो कभी है वो सुख भरी।
जब भी ढल जाती है रात वो घने अंधेरे में डुबी हुई,
उसी पल सारे संसार में जगमगाती है सुबह वो सुनहरी।
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