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हमें फिर याद आते है | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©गायकवाड विलास

परिचय- लातूर, महाराष्ट्र


 

जिंदगी का सच है वो सिलवटें ,

जैसे नींद में बदलती है करवटें।

प्यारा बचपन,जवानी और वो बुढ़ापा,

इसी बदलते पलों के साथ ही हमें चलना है।

 

बचपन और जवानी की यादें होती है बड़ी मीठी,

तब आईना भी हमको प्यारा प्यारा लगता है।

जैसे-जैसे निकल जाते है वो दिन और साल,

फिर आइने की जरूरत ही कहां पड़ती है।

 

जनम और मृत्यु के बीच का फासला यही है जीवन,

फिर उसी सच्चाई के संग संग ही हमें यहां जीना है।

सिलवटें देखकर मायूस न होना जिंदगी में,

पेड़,पौधे और जानवर भी बुढ़ापे का रंग यहां देखते है।

 

बचपन गुजर जाने के बाद जवानी लगती है सभी को अच्छी,

मगर वो वक्त का पहिया कब यहां पर रूकता है।

वक्त के साथ-साथ सबकुछ बदल जाता है इस संसार में,

उसी सच्चाई को अपनाकर ही हमें यहां हंसना है।

 

सिलवटें किस को लगती है यहां जीवन में प्यारी,

बढती हुई सिलवटें बढ़ाती है मन में बेकरारी।

देखते-देखते ही गुजर जाती है ये जिंदगी भी,

और वही गुज़रे हुए मीठे-मीठे फल हमें फिर याद आते है।

 

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