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बिल्हा की छात्राओं ने दिया होलिका दहन की प्रतिस्पर्धा रोकने का संदेश, सहायक शिक्षक कलेश्वर साहू ने दी जानकारी | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

बिल्हा | [छत्तीसगढ़ बुलेटिन] | Girl students of District Primary School Bilha gave the message to stop the competition of Holika Dahan.

 

Online bulletin dot in : जनपद प्राथमिक शाला बिल्हा में बस्ता विहीन शनिवार के तहत छात्रों ने चित्र निबंध लेखन के जरिए पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता का संदेश दिया।

 

चित्रों में दर्शाया कि कई होलिका जल रहा है और धुंआ पर्यावरण में फैलने से बुजुर्ग खांस रहे हैं किसी ने चित्र में एक मोहल्ले में कई होलिका नहीं जलाने की हाथ जोड़कर लोगों से अपील करते दिखाए।

 

कार्यक्रम की परिकल्पना व संचालन कर रहे सहायक शिक्षक कलेश्वर साहू ने बताया कि निबंध लेखन में छात्राओं ने अपनी बात रखते हुए लिखा है कि पहले एक मोहल्ले गांव में एक ही होलिका दहन होता था। जिसमें प्रेम की भावना उमड़ती थी लेकिन, अब वह प्रेम नहीं रहा।

 

अब तो होलिका दहन के नाम पर प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। जबकि होलिका दहन आपसी मन मुटाव को दूर करने करके गले मिलने का त्योहार है।

 

कुछ लोग एक ही गांव- मोहल्ले में कई होलिका दहन करके सामाजिकता खत्म कर रहे हैं। हरे पेड़ काटकर होलिका में रखे जाते हैं। इसे रोकने और एक गांव-मोहल्ले में एक होलिका को लेकर जागरूकता करने के उद्देश्य से छात्रों ने चित्र उकेरे। निबंध लेखन से छात्राओं ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुकता संदेश दिया।

 

चित्र व निबंध लेखन में विचार अनेक थे लेकिन, उद्देश्य एक था कि होलिका दहन औपचारिकता के तौर पर करें। प्रेम से गले मिलकर रंग लगाएं, एक दूसरे के घर जाकर गले मिले और शुभकामनाएं दे। यही इस पर्व की विशेषता है।

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छात्राओं ने निबंध में लिखा कि लकड़ी जलने से कार्बन डाइऑक्साइड गैस पर्यावरण में फैलती है। नई पीढ़ी जागरूकता नहीं हुए तो होलिका दहन की संख्या बढ़ेगी।

 

जनपद प्राथमिक शाला बिल्हा के प्रधान पाठक साधराम मरकाम ने कहा कि कलेश्वर साहू द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम जागरूकता की मुहिम के तहत पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है जो कि बहुत ही सराहनीय कार्यक्रम है।

 

सभी स्कूलों को कलेश्वर साहू जैसे कार्यक्रम जरूर आयोजित कराना चाहिए। चित्र, निबंध, लेखन और भाषण के माध्यम से एक गांव-मोहल्ले में एक ही होलिका को लेकर जागरूकता बढ़ाएं।

 

पेड़ हमारी धरोहर है। इस धरोहर को होलिका दहन की प्रतिस्पर्धा की भेंट नहीं चढ़ने देना चाहिए । जागरूकता से ही होलिका दहन कम होगा।

– हर्षिता कोराम

 

कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी से सांसे टूटते देखी है। इस सांसो को बचाना है तो पेड़ों का काटना रोकना होगा। नई परंपरा डालने से रोकनी चाहिए।

– तुषार कौशिक

 

पेड़ ही हमारा जीवन है। इससे ऑक्सीजन मिलना अगर बंद हो गई तो सांस लेना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए एक गांव-मोहल्ले में एक ही होलिका दहन होना चाहिए ।

– रुनझुन पाल

 

होलिका दहन को लेकर प्रतिस्पर्धा आखिर क्यों। यह प्रतिस्पर्धा ही पेड़ों का कटाव करा रही है करनी है तो किसी गरीब के घर जाकर होली मनाने की करें।

– ऋग्वेद थापर

 

 

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