देखो आक्सीजन भी बिकने को आई | Newsforum
©प्रीति विश्वकर्मा, ‘वर्तिका’, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
परिचय: अवध विश्वविद्यालय से 2017 में बीएससी किया, कोचिंग क्लास का संचालन.
देखो आज हमारे लिये, हमारी भूल ही शूल बन आई
वृक्षारोपण हमें मजाक लगा, हवा भी बिकने को आई
कोविड पेन्डेमिक जो आया, प्राणवायुमहत्व समझ आया
हाहाकार मचा जग में, प्रकृति का खेल समझ आया
खेले थे हम कभी प्रकृति से, परिणाम आज नजर आया
वायु कमी हर जगह हुई, प्रकृति ने कहर कैसा ढाया
आक्सीजन सिलेंडर लीक हुए, कहीं covid व्यापार बना
जान गवांयी कितनों ने, कितनों ने अपनों को खोया
अस्पताल में लाशें हैं, स्वास्थालय देखो शमशान बने
अपने ही अपरिचित हो जाते, कितनी लाशें गुमनाम हुई
कहर हर शहर में छाया, ना गांव तलक है बच पाया
शहर में स्वास्थ्य सेवाएं हैं, गांव में दूर तलक अस्पताल नहीं
खल रही कमी आक्सीजन की, अब ऐसा दौर ना फ़िर आये
आओ हमसब मिल करें वृक्षारोपण, धरती को फ़िर लहराएं …