ज्ञान का सूर्य कविता के लिए अशोक यादव को मिला विश्व शिक्षक दिवस सम्मान 2021 | Onlinebulletin
©अशोक कुमार यादव ‘शिक्षादूत’, मुंगेली, छत्तीसगढ़
विश्व शिक्षक दिवस के पावन अवसर पर 5 अक्टूबर 2021 को अंतर्राष्ट्रीय साहित्य परिषद् डीडी भारती नेटवर्क के सीईओ द्वारा काव्य लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में भारत के सभी राज्यों के कवि एवं कवियत्रियां सम्मिलित हुए। इस प्रतियोगिता में कवि अशोक कुमार यादव, सहायक शिक्षक (प्रभारी प्रधान पाठक) शिक्षक नगर मुंगेली छत्तीसगढ़ के द्वारा ‘ज्ञान का सूर्य’ कविता प्रस्तुत किया गया। इस काव्य लेखन के लिए “विश्व शिक्षक दिवस सम्मान 2021” से सम्मानित किया गया। उनके द्वारा प्रस्तुत की गई उत्कृष्ट रचना Onlinebulletin.in के सभी पाठकों के लिए यहां प्रस्तुत है …
कविता का शीर्षक है, ज्ञान का सूर्य
मैं ज्ञाता और विद्वान शिक्षक।
मैं ज्ञान-विज्ञान का रक्षक।।
जलता हूं प्रमान सूरज बन।
वीरान हृदय या जन सघन।।
प्रकाशित करता हूं मन अबोध।
चेतना जागृत कराता बोध।।
कौशल अर्जित कराना काम।
जपवाता हूं माला विद्या नाम।।
मैं ही सखा और मैं ही गुरु हूं।
मैं ही पितृ और मैं ही प्रसू हूं।।
मैं ही चिकित्सक,मैं ही भाट।
मैं ही दांडिक और मैं ही नट।।
मैं ही जगत में त्रिदेव रूप।
मैं ही भाग्य विद्या लेखी अनूप।।
नीर निर्मल सदृश्य बहाता दक्षा।
गर्भ प्राणियों का करता रक्षा।।
मेरा वचन है चारों वेद वाणी।
पुराणों में द्वैत-अद्वैत कहानी।।
बन जाता हूं ऋषि पतंजलि।
सीखाता हूं तुम्हें योग सूत्र विधि।।
मेरे हैं विविध रूप-प्रतिरूप।
ज्ञान गहरा है मेरा सागर कूप।।
तुम्हें सर्वगुण संपन्न बनाता हूं।
जीवन का दृश्य दिखाता हूं।।
पहले बनना होगा एक अध्येता।
फिर बनोगे विश्व विजेता।।
ना छोड़ना कभी गुरु का हाथ।
पग चिन्हों पर चल कर विश्वास।।
जलता रहूंगा बनकर मशाल।
मैं बना दूंगा तुझे बेमिसाल।।
सीखाता हूं ध्यान और एकाग्रता।
पठन कर नर तन्मयता।।
मंजिल ही तेरा अंतिम ध्येय।
लक्ष्य के लिए जप अध्याय।।
तुम इंद्रधनुष के रंग प्रकाश।
बन जाऊंगा नीला आकाश।।
हौसलों को टूटने ना देना।
नैनो से ना बहाना अश्रु वेदना।।
खड़ा रहूंगा हमेशा साथ तेरे।
दूर करने असफलता के घेरे।।