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नव जीवन प्रभात | ऑनलाइन बुलेटिन

©देवप्रसाद पात्रे

परिचय– मुंगेली, छत्तीसगढ़


 

 

नाकामी की पीड़ा, दे दो मुझे हर आघात।

बदले में मैं दे दूं, तुम्हें नव जीवन प्रभात।।

 

जब हो घनघोर अंधेरा, न हो कोई आश।

दे दो अपनी तकलीफें, न हो कोई हताश।

 

जब छाए हो गम के बादल, मन में तेरे डर हो,

असफलता और निराशा का, मन में तेरे घर हो।

 

हृदय में बसा हूँ मैं, साहस तेरा हौसला,

निकाल मुझे बाहर कर, है ये तेरा फैसला।।

 

जब हो अंधेरी रात, हो धुंधली आकाश।

न उम्मीदें जीत की, जब हार हो तेरे पास।

 

तिरस्कार का पीड़ा, दे दो मुझे हर आघात।

बदले में मैं दे दूँ, तुम्हे नव जीवन प्रभात।।


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