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उत्तराखंड और गुजरात जैसे राज्यों में समान नागरिक संहिता कानून लागू करने की तैयारी चल रही, असम में भी तैयार

गुवाहाटी
उत्तराखंड और गुजरात जैसे राज्यों में समान नागरिक संहिता कानून लागू करने की तैयारी चल रही है। इस बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी कह दिया है कि अगर सब ठीक रहा है तो वह अपने राज्य में भी इसे लागू करेंगे। हालांकि, इसमें कुछ बदलाव किए जाएंगे। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार उत्तराखंड सरकार द्वारा तैयार समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक की बारीकी से निगरानी कर रही है। उन्होंने कहा कि हम देखने की कोशिश कर रहे हैं कि इसे पूर्वोत्तर राज्य में पूरी तरह से लागू किया जा सकता है या नहीं।

आपको बता दें कि धामी सरकार के द्वारा गठित पांच सदस्यीय समिति ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपनी मसौदा रिपोर्ट सौंप दी है। इसके सिर्फ दो घंटे बाद ही सीएम सरमा की प्रतिक्रिया सामने आई है। सरमा ने कहा, “उत्तराखंड में यूसीसी को लेकर जो भी काम हो रहा है उसपर बारीकी से नजर रखेंगे। यदि उत्तराखंड की सरकार यह विधेयक 5 फरवरी को राज्य विधानसभा में पेश करती है तो हम देखेंगे कि क्या इसे असम में भी पूरी तरह से लागू कर सकते हैं या नहीं। हमारा विधानसभा सत्र 12 फरवरी से शुरू होगा, इसलिए हमारे पास अभी कुछ समय है।”

सीएम सरमा ने बताया कि उनकी सरकार असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक अधिनियम तैयार कर रही है। इस महीने की शुरुआत में उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार यूसीसी को लागू करेगी लेकिन आदिवासी आबादी को इसके दायरे से दूर रखेगी। उन्होंने कहा था, "उत्तराखंड और गुजरात पहले यूसीसी लाएंगे और असम उन विधेयकों में कुछ नए बदलाव कर राज्य में लागू करेगा।"

उन्होंने कहा, "मैं उत्तराखंड के यूसीसी विधेयक को देखने का इंतजार कर रहा हूं। जब यह एक बार यह पूरा हो जाएगा, हम वही कानून असम में भी लाएंगे। चूंकि हम बाल विवाह और बहुविवाह के खिलाफ काम कर रहे हैं, इसलिए इसमें कुछ बदलाव होंगे। असम में आदिवासी समुदाय को छूट दी जाएगी।''

सरमा ने यह भी कहा कि अगर यूसीसी विधेयक पर सार्वजनिक परामर्श 2-3 महीने में हो सकता है, तो इसे जल्द ही असम विधानसभा में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि सब कुछ उत्तराखंड और गुजरात विधेयकों पर निर्भर करेगा, लेकिन असम यूसीसी लागू करने वाला तीसरा राज्य होगा।

 


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