गुलाब मुस्कुराता रहे l ऑनलाइन बुलेटिन
Rose Day
©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़, मुंबई
गुलाब
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दिल के झरोंके में पलता हसीन ख़्वाब।
मुहब्बत के पयम्बर का आए जवाब,
लबों पे हो मुस्कान, सुर्ख़ हो जाये रुख़सार,
घुटने पे बैठकर जब हाथों से थमाए गुलाब।
इश्क़ की गलियाँ, गुलों से महक जाए,
गुज़रे जो चमन से, इश्क़ में बहक जाए।
नशा मुहब्बत का न उतरे कभी उम्र भर,
परिंदों की मानिंद, दिल चहक जाए।
खारों के बीच, गुलाब मुस्कुराता रहे,
मुहब्बत की कशिश पे लाल रंग चढाता रहे।
रूह भी कर दे पाक, सुर्ख़ लबों की लाली से,
मुहब्बत की वादियों में पैमाना इश्क़ का छलकाता रहे।