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सेला सुरंग वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास है, तुरंत हथियार लेकर पहुंच जाएंगे जवान, चीन की उड़ेगी नींद

नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 मार्च को अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर जाने वाले हैं। इस दौरान वह सेला सुरंग सहित कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। पीएम मोदी पश्चिम कामेंग जिले के बैसाखी में आयोजित समारोह में सेला सुरंग राष्ट्र को समर्पित करेंगे। सेला सुरंग से चीन की सीमा से लगे तवांग तक हर मौसम में कनेक्टिविटी सुविधा मिलेगी। एक अधिकारी ने बताया, '13 हजार फुट की ऊंचाई पर सेला सुरंग स्थित है। इसके चालू हो जाने से अरुणाचल प्रदेश के तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी सुविधा मिलेगी। सेला सुरंग वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास है। यही वजह है कि यह सुरंग रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।' खासतौर से चीन की ओर सीमावर्ती इलाकों में बढ़ने निर्माण कार्यों के मद्देनजर इसे भारत के लिए काफी अहम माना जा रहा है।

बता दें कि सेला दर्रे के पास यह सुरंग बनाई गई है। इसकी जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि भारी वर्षा के कारण भूस्खलन और बर्फबारी के चलते बालीपारा-चारीद्वार-तवांग मार्ग लंबे समय तक बंद हो जाता है। यह सुरंग चीन-भारत सीमा पर अग्रिम क्षेत्रों में सैनिकों, हथियारों और मशीनरी की शीघ्र तैनाती कर LAC पर भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाएगी। तवांग से चीनी सीमा की दूरी करीब 35 किलोमीटर है। ऐसे में भारत ने अब एलएसी के बेहद करीब सुरंग का निर्माण कर लिया है। पीएम मोदी ने फरवरी 2019 में इस परियोजना की नींव रखी थी, जिसकी लागत 697 करोड़ रुपये आंकी गई थी। कोरोना महामारी सहित विभिन्न कारणों से सुरंग के निर्माण कार्य में देरी हुई।

हर मौसम में बनी रहेगी कनेक्टिविटी
सीमा सड़क संगठन (BRO) की ओर से इस सुरंग का निर्माण किया गया है। यह दुनिया की सबसे लंबी ट्विन-लेन सुरंग है। इससे होकर यात्रा शुरू होने पर तवांग की आवाजाही का समय करीब 1 घंटा कम हो जाएगा। साथ ही हर मौसम में कनेक्टिविटी बनी रहेगी। अधिकारियों ने कहा कि सेला सुरंग देश की रक्षा तैयारियों को बढ़ावा देगी। साथ ही यहां के सामाजिक-आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। इस सुरंग होकर प्रति दिन 3,000 कारें और 2,000 ट्रकों की आवाजाही आसानी से हो सकती है जो अधिकतम गति 80 किमी प्रति घंटा से रफ्तार भर सकते हैं। मालूम हो कि सेला प्रोजेक्ट में सुरंग 1 की लंबाई 1,003 मीटर है और 1,595 मीटर लंबी दूसरी सुरंग है। ये ट्विन सुरंगें सेला के पश्चिम में 2 चोटियों से होकर गुजरती हैं। इस परियोजना में 8.6 किमी लंबी 2 सड़कें भी शामिल हैं।


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