शख्शियत shakhshiyat
©कुमार अविनाश केसर
परिचय– मुजफ्फरपुर, बिहार
ज़िन्दगी, तेरी तवयाफदिली से तंग हूँ मैं,
एक ज़िंदा मिशाल हूँ, एक जंग हूँ मैं.
हस्ती यूँ ही नहीं है ये, क़द्दावर, मेरी,
जवाँ चमन का बहार हूँ, उमंग हूँ मैं।
इंसान कहाँ टिकता है शख्शियत के सामने,
उसकी चालबाजियों से हैरान हूँ, दंग हूँ मैं।
तुम भी मुझे भूल पाओगे कब भला?
रोज की अख़बार का दैनिक प्रसंग हूँ मैं।
रोज नया होने का हुनर जनता हूँ, ‘केसर’,
पल-पल दरिया का उठता हुआ तरंग हूँ मैं।
personality
Life, I am fed up with your kindness,
I am a living example, I am a battle.
Celebrity is not just like this, strong, my,
I am the spring of youth, I am the zeal.
Where does a person stand in front of personality,
Shocked by his tricks, I am stunned.
When will you be able to forget me too?
I am the daily subject of the daily newspaper.
I know the ability to be new everyday, ‘Saffron’,
I am the rising wave of the river moment by moment.