कभी कभी जिंदगी में | newsforum

©राहुल सरोज, जौनपुर, उत्तर प्रदेश
कभी जिंदगी में फूलों सी महक होती है,
कभी आंखों में सूरज सी चमक होती है,
कभी खो जाता हूं मैं किताबों के पन्नों में,
कभी यादों में सतरंगी धनक होती हैं।।
कभी मुस्कुराता हूं सुबह शाम बेवजह,
कभी गुनगुनाता हूं कोई गान बेवजह,
कभी खग सा उड़ता हूं आसमानों में,
कभी फिरता हूं मैं खेत खलिहानों में।।
कभी हवाओं से बातें किया करता हूं,
कभी नदियों के मैं साथ बहा करता हूं,
कभी चांद मुझ पर चांदनी लूटता है,
कभी कोई जुगनू दिल छूके गुजर जाता है।।
कभी किसी भौरे सा गुंजार करता हूं,
कभी बेवजह किसी का इंतेज़ार करता हूं,
कभी निकल पड़ता हूं मैं सुनसान सड़कों पर,
कभी रात से दिल का इजहार करता हूं।।
कभी सोचता हूं कि कुछ भी ना सोचूं,
कभी अपनी सोच से ही मैं प्यार करता हूं।।