किसकी चिन्ता करता मन | newsforum
©प्रीति विश्वकर्मा, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
1.
किसकी चिन्ता करता मन,
कोई नहीं है तेरे संग..
दुनिया तो बदलती रंग,
मुश्किलों में तन्हा छोड़े,
खुशियों में फ़िर संग होले …
अजीब है ये जिंदगानी,
धूप छांव सी है कहानी..
क्षणभन्गुर है ये तन,
किसकी चिन्ता करता मन..
2.
वक्त भी बेवक्त आयॆ,
झंझट ही झंझट संग लाये..
मुस्कुराहट भी दर्द छुपाये,
गम की चादर ओढ़े खुशियां आये..
अजीबोगरीब है ये कहानी,
उम्मीदों पर फ़िरता पानी…
धरा पे धरा रह जाता धन,
किसकी चिन्ता करता मन..
3.
धन, सम्पति सब मोहमाया,
झूठी शान, झूठा दिखावा..
इक दिन दुनिया से उठ जायेगा,
सब तेरा यू रह जायेगा..
प्रतिपल हरि का ध्यान लगा,
मन्जधार तू पार लगा..
चल सवार ले अब जीवन,
किसकी चिन्ता करता मन..
कोई नहीं है तेरे संग..