सभी गांव निकाल के देखो…
©प्रा.गायकवाड विलास
परिचय- मिलिंद महाविद्यालय, लातूर, महाराष्ट्र
सभी गांव निकाल के देखो जरा इस वतन से,
फिर देखो इस वतन का सच्चा अस्तित्व किस में है।
खेती हरियाली मजदूर और किसान उसी से ये वतन खिला है,
“चलो गांव की ओर”उसी में ये हमारा वतन जिंदा है।
मजदूर,किसान और जवान यही इस वतन की शान-ओ-शौकत है,
उन्हीं के बगैर ये वतन भी जैसे किसी अपाहिज से कम नहीं है।
उनके पसीने से ही रोटी और जवान के शौर्य से ये जहां आबाद है,
उन्हें भी जरा याद करो,उन्हीं के बदौलत ये सारा जहां खुशहाल है।
गांव के मिट्टी की खुशबू ही सारे जहां में खुशियां बिखेर देती है,
सुजलाम सुफलाम देश की बुनियाद उसी मिट्टी से शुरूआत होती है।
एक-दूसरे की सभी को यहां पर बहुत ज़रूरत है,
अमीर हो या गरीब दोनो भी अपना दामन फैलाते है।
सभी गांव निकाल के देखो जरा इस वतन से,
फिर देखो शहर भी गांवों के बिना कितने अपाहिज है – – –
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