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तनया शोभा धाम की, मात- पिता की आस | newsforum

©सरस्वती साहू, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

रखती सुंदर मान को, दो -दो कुल में वास

तनया शोभा धाम की, मात- पिता की आस

 

सतत सृष्टि की भूमिका, संतति है अनमोल

रत्न बने आँगन सजे, विनय, प्रेम रस घोल

बाल, बालिका योग्य हो, जननी जनक प्रयास

तनया शोभा धाम की, मात- पिता की आस….

 

शिक्षा नित संस्कार भर, संतति भाग संँवार

बाल्यकाल से ही रचे, उत्तम भाव विचार

तनया भाव विशालनी, मृदुल लता रख पास

तनया शोभा धाम की, मात- पिता की आस…

 

सास, ससुर नित देत है, मात- पिता सम मान

प्रेमातुर यश गान हो, तनया जग वरदान

भावपल्लवित हो सदा, करुणा, ममता खास

तनया शोभा धाम की, मात- पिता की आस…

आँचल भर लेती सहज, सुख, दुख सारे प्यार

तनया धरनी सम सहे, कष्ट, कलह का भार

मात- पिता की लाडली, तुझ पर है विश्वास

तनया शोभा धाम की, मात- पिता की आस….

 

सुंदर रखती मान को, दो-दो कुल में वास

तनया शोभा धाम की, मात- पिता की आस …


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