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Tathagat Buddha says- धन मिलना आसान है लेकिन मन की शांति मिलना बहुत मुश्किल…

 

©डॉ. एम एल परिहार

परिचय- जयपुर, राजस्थान.

 

Tathagat Buddha : Who doesn’t want happiness and peace of mind, everyone is looking for it. But why is there mental disturbance, why is there sorrow? It is important to emphasize the reason for this.

 

ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन: सुख और मन की शांति भला किसे नहीं चाहिए, सभी तो इसकी तलाश में है. लेकिन मानसिक अशांति क्यों है, दुख क्यों है? इसके कारण पर जोर देना जरूरी है.(Tathagat Buddha)

 

तथागत बुद्ध कहते हैं – इंसान की इच्छाएं बहुत है, इच्छाओं ने मन को परेशान कर रखा है, उन चाहों के कारण तनाव हैं और तनाव के कारण अशांति है. धन, पद, प्रतिष्ठा, वस्त्र, भोजन, पांच इंद्रिय सुखों की हर दिन नई नई इच्छाएं पैदा हो रही है तो अशांति बढ़ेगी ही.

 

धन मिलना आसान है लेकिन मानसिक शांति, संतोष, सुख मिलना बहुत मुश्किल है. धन तो छोटी बात हैं भागते रहो तो मिल ही जाएगा. कानूनी ढंग, नेकी ईमानदारी से नहीं तो बेईमानी, लूट खसोट और शोषण से मिल जाएगा. धन को तो जैसे तैसे पाया जा सकता है लेकिन मानसिक शांति या सुख कोई वस्तु तो है नहीं कि उसे मुट्ठी में बांध लो या बाजार से खरीद लो या पद प्रतिष्ठा के रौब से हड़प लो.

 

असल में मानसिक शांति तो सही-ग़लत, भले-बुरे की समझ होने से मिलती है, प्रज्ञा (wisdom) से मिलती है, सजग चित्त व ध्यान से मिलती है. जब व्यक्ति को दुख या अशांति के कारणों का पता चल जाता है. यह समझ में आ जाता है कि मन अशांत क्यों है तो उसी समझ में दुख व अशांति के कारण समाप्त हो जाते हैं और बाकी जो रह जाता है, वह मन की सुख शांति ही है. इसलिए सुख शांति कोई चाहने से नहीं मिलती. फिर चाह ही तो अशांति का कारण है.(Tathagat Buddha)

 

हर इंसान सुख पाने के लिए भाग दौड़ कर रहा है लेकिन यह मालूम नहीं करता है कि वह दुखी क्यों है? और जब तक दुखी होने के कारणों को नहीं बदलता, तब तक वह कितना ही दौडे़, सुख व शांति नहीं पा सकेगा.(Tathagat Buddha)

 

तथागत कहते हैं- लोग सुख खोज रहे हैं और दुख पैदा कर रहे हैं. सारी ऊर्जा दुख पैदा करने में लगी है और मन का एक छोटा सा हिस्सा सुख खोजने में लगा है, सफल कैसे होगा?

 

व्यक्ति का पूरा जीवन दुख पैदा करने में लगा रहता है जबकि जरुरी यह है कि दुख के कारण खोजो और उसका उपाय कर दूर करो. बाकी जो बचेगा वह सुख ही सुख है जहां दुख नहीं होगा वहां सुख का सागर होगा.(Tathagat Buddha)

 

भवतु सब्बं…सबका मंगल हो …सभी प्राणी सुखी हो 

Tathagat Buddha

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