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अनचाहे कॉल्स ने छीना सुकून | ऑनलाइन बुलेटिन

©डॉ. सत्यवान सौरभ

परिचय- हिसार, हरियाणा.


 

फोन में आने वाली अनचाही या अनजानी कॉल। जो वक्त बेवक्त कभी भी आकर आपको परेशान कर सकती हैं और आप चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते। आप फोन उठाने से पहले इतना भी नहीं जान पाते कि आपको ये फोन कॉल कौन कर रहा है। वक्त-बेवक्त मोबाइल फोन पर आने वाले अनचाहे कॉल्स सभी के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। टेलीमार्केटिंग यानी कॉल्स के जरिये सामान, बैंक लोन, क्रेडिट कार्ड समेत अन्य उत्पाद खरीदने के लिए लोगों को दिन में कई बार किए जाने वाले कॉल्स से देश भर के बाशिंदे जूझ रहे हैं। अधिकतर मोबाइल फोन उपभोक्ता तो इन नंबरों को ब्लॉक कर देते हैं, पर टेलीमार्केटिंग कंपनियां अन्य नंबरों से फोन करती हैं।

 

ये बात सही है कि लोगों की जिंदगी में स्मार्टफोन क्या आया जैसे उनका संसार ही बदल गया। बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके लिए ये सिर्फ फोन नहीं, उससे बढ़कर है। स्मार्टफोन से आप ना सिर्फ किसी से बात कर सकते हैं बल्कि इंटरनेट के संसार को उंगलियों में नचा सकते हैं। लेकिन तस्वीर का एक दूसरा पहलू भी है और वो ये है कि फोन में आने वाली अनचाही या अनजानी कॉल। जो वक्त बेवक्त कभी भी आकर आपको परेशान कर सकती हैं और आप चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते। आप फोन उठाने से पहले इतना भी नहीं जान पाते कि आपको ये फोन कॉल कौन कर रहा है। वक्त-बेवक्त मोबाइल फोन पर आने वाले अनचाहे कॉल्स सभी के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। टेलीमार्केटिंग यानी कॉल्स के जरिये सामान, बैंक लोन, क्रेडिट कार्ड समेत अन्य उत्पाद खरीदने के लिए लोगों को दिन में कई बार किए जाने वाले कॉल्स से देश भर के बाशिंदे जूझ रहे हैं। अधिकतर मोबाइल फोन उपभोक्ता तो इन नंबरों को ब्लॉक कर देते हैं, पर टेलीमार्केटिंग कंपनियां अन्य नंबरों से फोन करती हैं।

 

मोबाइल फोन पर अनचाही कॉल से परेशान लोगों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिन उपभोक्ताओं ने डू नॉट कॉल में अपने फोन का नंबर रजिस्टर कराया है। अगर उनके फोन पर कोई कॉल आती है तो उस कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। तमाम कंपनियां अपने प्रोडक्ट के लिए जब चाहे कॉल करके लोगों को परेशान करती रहती हैं। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर सरकार को कड़ा निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जिन उपभोक्ताओं ने अपने मोबाइल फोन नंबर को डू नॉट काल में रजिस्टर कराया है। उनके फोन पर कोई भी अनचाही कॉल नहीं आनी चाहिए। इसके साथ ही उन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने को भी कहा है जो टेलीसर्विस तो करती हैं। लेकिन उन्होंने संचार मंत्रालय में इसके लिए अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। अनचाही कॉल्स और मेसेज से परेशान लोग इन पर रोक लगने की उम्मीद को एक बार फिर अपने भीतर जिंदा कर सकते हैं। दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने इसे लेकर नए नियम बनाए हैं, जिनके मुताबिक किसी भी व्यावसायिक, टेलिमार्केटिंग या उनके लिए काम करने वाली कंपनी को कॉल या संदेश भेजने से पहले उपभोक्ता की मंजूरी लेना अनिवार्य होगा।

 

टेलीफोन रेगुलेटरी ऑफ इंडिया (ट्राई) की सख्ती के बाद भी लोगों के मोबाइल पर अनचाहे कॉल और एसएमएस धड़ल्ले से आ रहे हैं। ट्राई ने डू नॉट डिस्टर्ब (डीएनडी) सुविधा की शुरुआत 27 सितंबर 2011 से की थी। इसका उद्देश्य लोगों को अनचाहे कॉल और मैसेज से राहत दिलाना था। इसके बाद भी उपभोक्ताओं को राहत नहीं मिल रही है। इस सेवा के तहत लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। इसके बाद भी कॉल कर उपभोक्ताओं को डिस्टर्ब करने का सिलसिला जारी है। टेलीकॉम अधिकारियों के अनुसार, सेवा शुरू होने से लोगों को थोड़ी राहत अवश्य मिली है। रजिस्ट्रेशन के बाद भी अनचाहे कॉल आ रहे हैं, तो इसकी शिकायत ट्राई से की जा सकती है। इसके बाद ट्राई मोबाइल कंपनियों से जुर्माना वसूल कर उसे ब्लैक लिस्ट कर सकती है। उपभोक्ताओं को अनचाहे कॉल या मैसेज आने की शिकायत हो, तो वे इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं।

 

 

आप अपने सेल फोन पर आने वाली अनचाही कॉल्स से परेशान हैं तो यह खबर आपको थोड़ा सुकून देगी। अंत्येष्टि कार्यक्रम के दौरान एक शख्स के पास लोन का कॉल पहुंचा, उपभोक्ता अदालत ने ने कंपनी और कॉलर को पीड़ितों को मुआवजा देने का फैसला सुनाया। वडोदरा के उपभोक्ता फोरम ने टेलिकॉलर कंपनी आई-क्यूब और कॉलर कन्हैयालाल ठक्कर को अनचाही कॉल कर ग्राहक को परेशान करने की एवज में 20,000 रुपये मुआवजा अदा करने का फैसला सुनाया है। कॉलर सिटी बैंक का क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन बेच रहा था। जब कॉलर फोन के जरिए लोन की पेशकश कर रहा था तब शिकायतकर्ता अपने रिश्तेदार की अंत्येष्टि में व्यस्त था। कोर्ट के इस फैसले के मुताबिक, कंपनी और कॉलर, दोनों को 10-10 हजार रुपये का मुआवजा देना होगा।

 

इतना ही नहीं, आई-क्यूब और वोडाफोन एस्सार गुजरात लिमिटेड को कन्ज्यूमर वेलफेयर फंड को 10,000 रुपयों की पेमेंट करने के लिए भी कहा गया क्योंकि शिकायतकर्ता ने टेलिकॉलर कंपनी के साथ उनका नाम, नंबर और व्यक्तिगत जानकारी शेयर करने का भी आरोप लगाया था, जो उऩकी निजता का हनन है। मामला साल 2007 का है। सुनवाई के बाद कन्ज्य़ूमर कोर्ट ने आई-क्यूब और कॉलर ठक्कर को दोषी पाते हुए मुआवज़े का फैसला सुनाया।मोबाइल फोन यूजर्स की एक बड़ी समस्या होती है अनचाहे और बेवक्त पर आए कॉल्स. ये कॉल कभी भी बिना अनुमति के आ जाते हैं. कभी आप जरूरी  मीटिंग में हो, आराम कर रहे हो या फिर ड्राइविंग कर रहे हो. यह कॉल आपको परेशान कर देते हैं. वहीं नियमित अंतराल पर आने वाले यह कॉल खीझ भी पैदा करते हैं. कभी-कभार तो त्रुइकॉलेर से आपको इस बारे में जानकारी मिल जाती है कि यह टेलीमार्केटिंग कॉल है लेकिन कभी यह बात पता नहीं चल पाती है. ऐसे में इन कॉल से छुटकारा पाने के लिए जरूरी है कि इन्हें ब्लॉक करें. साथ ही डू नॉट डिस्टर्ब ऑप्शन का इस्तेमाल करें.

 

भारतीय अदालतों और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने टेलीमार्केटिंग कंपनियों को विज्ञापन, मार्केटिंग और उत्पादों की सीधी बिक्री विशेष रूप से क्रेडिट कार्ड और बैंक ऋण के लिए अवांछित कॉल करके व्यक्तियों की गोपनीयता पर आक्रमण करने से प्रतिबंधित कर दिया है। हालांकि, ये प्रतिबंध भारत में टेलीमार्केटिंग को समाप्त नहीं करेंगे क्योंकि कंपनियां संभावित ग्राहकों के साथ भी संचार करना जारी रखती हैं। संशोधित बैंकिंग लोकपाल योजना के तहत, एक पीड़ित ग्राहक क्रेडिट कार्ड पर आरबीआई के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के लिए बैंक/एनबीएफसी के खिलाफ संबंधित लोकपाल के पास शिकायत दर्ज कर सकता है।सरकार को टेलीमार्केटिंग को विनियमित करने के लिए एक कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणियों और उपभोक्ता अदालत के फैसले की भावना को पूरा करने की आवश्यकता है ताकि टेलीमार्केटर्स व्यक्तिगत गोपनीयता पर आक्रमण किए बिना और भारत के संविधान में निहित नागरिकों के मौलिक अधिकारों को प्रभावित किए बिना अपना व्यवसाय संचालित करें।

 

नोट– उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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