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क्यों निराश हो रहे हो | ऑनलाइन बुलेटिन

©नूतन लाल साहू


आपाधापी की इस दुनिया में

हरि भजन ही सार है

मन में प्रभु जी को अपना लो

मनवांछित फल पाओगे।

धन दौलत चीज है क्या

भक्ति से ही मुक्ति पाओगे

प्रभु जी की महिमा को

चाहे जैसे भी हो गा लो।

जो लगन लगाया है सच्ची

कभी उसकी नाव न अटकी

नैनों में रूप जिसने भी सजाया है

वो ही प्रभु जी का दर्शन पाया है।

प्रभु जी के नाम की महिमा प्यारी है

इसमें कोई शक नहीं है

पद धन वैभव कोई काम न आयेगा

इस कलियुग में, भवसागर में।

जैसी जो भावना लाया है मन में

वैसा ही फल वो पाया है

कर दिया उसे निहाल प्रभु जी

वो मन ही मन हरषाया है।

जीवन नैया सौप प्रभु जी को

भक्तों, अब किस बात पर डरना है

प्रभु जी सा दीनदयाल नहीं है कोई

जीवन है छोटी सी नैया।

आपाधापी की इस दुनिया में

हरि भजन ही सार है

धन दौलत चीज है क्या

भक्ति से ही मुक्ति पाओगे।


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