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राजीव गांधी किसान न्याय योजना से खेती-किसानी के दिन बहुरे | ऑनलाइन बुलेटिन

रायपुर | (छत्तीसगढ़ बुलेटिन) | कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और भारतीय जन-जीवन की धुरी। देश को खाद्यान्न सुरक्षा देने के साथ ही आबादी का आधे से अधिक हिस्सा प्रत्यक्ष रूप से जीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। कृषि क्षेत्र की समृद्धि व खुशहाली का अनुकूल प्रभाव अन्य क्षेत्रों और देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। प्रसिद्ध कृषि अर्थशास्त्री प्रोफेसर स्वामीनाथन का मानना है कि भारत के कृषक परिवार से देश की लगभग दो-तिहाई जनसंख्या जुड़ी है। यह राष्ट्रीय आय का औसतन 17 प्रतिशत हिस्सा  तथा ग्रामीण भारत की 80 प्रतिशत श्रम शक्ति को रोजगार देती है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए कृषि में बदलाव एवं उच्चतर विकास दर जरूरी है, जब कृषि उत्पादन बढ़ता है, तब राज्य की आय बढ़ती है तथा प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि होती है।

 

 

धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ राज्य में कृषि क्षेत्र को समृद्ध बनाने की मंशा से छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा फसल उत्पादकता एवं फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई राजीव गांधी किसान न्याय योजना से राज्य में खेती-किसानी और गांवों से लेकर शहरों तक व्यापार व्यवसाय को बढ़ावा मिला है। इस योजना के तहत इनपुट सब्सिडी के रूप में किसानों को अब तक दी जा चुकी 10 हजार करोड़ रूपए से अधिक की राशि की सीधी मदद से कोरोना संकट काल में भी छत्तीसगढ़ के बाजारों में रौनक बनी रही।

 

 

राजीव गांधी किसान न्याय योजना से किसानों को मिली इनपुट सब्सिडी से न सिर्फ  कृषि रकबे और फसल उत्पादन में वृद्धि हुई बल्कि खेती-किसानी से मायूस हो चुके किसानों के जीवन में एक नए जोश और नई ऊर्जा का संचार हुआ है। खेती छोड़ चुके लोग अब फिर से खेती की ओर लौटने लगे हैं। किसानों पर बकाया 9 हजार 270 करोड़ रुपये की कर्ज माफी और 244.18 करोड़ रूपए के सिंचाई कर की माफी ने भी खेती-किसानी और किसानों के दिन बहुराने में महत्वपूर्ण रोल अदा किया है।

 

 

प्रदेश सरकार की नीतियों और किसानों के हित में लिए गए फैसलों का ही यह परिणाम है कि राज्य में खेती- किसानी और किसानों के जीवन में खुशहाली का एक नया दौर शुरु हुआ है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राज्य में वर्ष 2018-19 में पंजीकृत धान का रकबा जो 25.60 लाख हेक्टेयर था, जो आज बढ़कर 30.18 लाख हेक्टेयर हो गया है। इसी अवधि में पंजीकृत किसानों की संख्या 16.92 लाख से बढ़कर 24.06 लाख के पार जा पहुची है।

 

 

राज्य में सिर्फ धान के रकबे में 5 लाख हेक्टेयर और पंजीकृत किसानों की संख्या में 7 लाख से अधिक की बढ़ोतरी, खेती के दिन बहुरने का सुखद एहसास है। इसका अंदाजा सिर्फ राज्य में समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान की साल दर साल बढ़ती मात्रा से आसानी से लगाया जा सकता है। राज्य में खरीफ विपणन वर्ष 2018-19 में 80.30 लाख मेट्रिक टन, वर्ष 2019-20 में 83.94 लाख मैट्रिक टन, वर्ष 2020-21 में 92.06 लाख मैट्रिक टन रिकॉर्ड इस साल और टूटने जा रहा है। अभी धान खरीदी के पांच दिन बचे है और राज्य में 95 लाख मेट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है। 7 फरवरी तक होने वाली धान खरीदी के चलते यह आंकड़ा एक करोड़ मेट्रिक टन के पार पहुंच जाएगा।

 

 

राजीव गांधी किसान न्याय योजना से राज्य में समृद्ध होती खेती-किसानी को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने अब इस योजना का दायरा बढ़ाकर इसमें खरीफ और उद्यानिकी की सभी प्रमुख फसल को शामिल कर लिया है। कोदो, कुटकी और रागी के उत्पादक किसानों को भी इस योजना के तहत प्रति एकड़ के मान से 9 हजार रूपए की सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान किया गया है। धान के बदले अन्य फसलों की खेती या वृक्षारोपण करने वाले किसानों को 10 हजार रूपए प्रति एकड़ के मान से इनपुट सब्सिडी मिलेगी। वृक्षारोपण करने वाले किसानों को यह इनपुट सब्सिडी 3 वर्षों तक दी जाएगी।

छत्तीसगढ़ जैसे विपुल धान उत्पादक राज्य में फसल विविधीकरण समय की मांग और जरूरत है। सरकार इस बात को भलीभांति जानती है। राज्य में अन्य फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यह एक सराहनीय पहल है। राज्य की आबादी को पोषण युक्त खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए चावल के साथ-साथ अन्य खाद्यान्न फसलों, दलहन-तिलहन का उत्पादन जरूरी है। इसकी पूर्ति फसल विविधीकरण को अपनाकर ही पूरी की जा सकती है। राज्य सरकार ने किसानों और वनवासियों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कृषि एवं वनोपज के वैल्यू एडिशन के लिए प्रोसेसिंग प्लांट तेजी से स्थापित किए जा रहे हैं, ताकि किसानों को और अधिक लाभ मिल सके।

 

 

छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना और गोधन न्याय योजना ने भी राज्य में खेती-किसानी को काफी हद तक मजबूती दी है। नरवा विकास कार्यक्रम के चलते सिंचाई के लिए जल उपलब्धता बढ़ी है और दोहरी और नगदी फसलों का रकबा बढ़ा है। गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत गोबर की खरीदी और उससे बड़ी मात्रा में कम्पोस्ट उत्पादन से राज्य में जैविक खेती की ओर किसानों का रूझान बढ़ा है। रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी से खेती की लागत में कमी आई है। किसानों के आमदनी में वृद्धि के लिए फसल विविधीकरण जरूरी है। इससे खेती को लाभकारी एवं टिकाऊ बनाने में मदद मिलती है। छत्तीसगढ़ सरकार की राजीव गांधी किसान न्याय योजना फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने और खेती-किसानी समृद्ध बनाने में मददगार साबित हो रही है।


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