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मृत्युभोज की यह प्रथा, खत्म अब करो | ऑनलाइन बुलेटिन

©गुरुदीन वर्मा, आज़ाद

परिचय– गजनपुरा, बारां, राजस्थान


 

मृत्युभोज की यह प्रथा, खत्म अब करो।

बर्बाद इसमें अपने घर, मत अब करो।।

मृत्युभोज की यह प्रथा——————-।।

 

 

मत मानो जग में इसको, अपनी शान तुम।

करो मत इसमें ऐसे, दौलत को दान तुम ।।

यह मृत्युभोज नहीं है, जश्न किसी मौत का।

किसी की मृत्यु पर भोज, मत अब करो।।

मृत्युभोज की यह प्रथा——————–।।

 

 

होगी सच्ची श्रद्धांजलि, दान ऐसे करने पर।

किसी गरीब, अनाथ को, आबाद करने पर।।

दुहा इनके दिल से मिलेगी, उस दिवंगत को।

मृत्युभोज समाज में तुम, बन्द अब करो।।

मृत्युभोज की यह प्रथा——————।।

 

 

बहुत किये जाते हैं जुल्म, जीते जी इंसान पर।

करके बदनाम, बेघर, दर – दर को भटकने पर।।

जीते जी तो नहीं की मदद, तुमने दिवंगत की।

दिखावा मृत्युभोज का तुम, नहीं अब करो।।

मृत्युभोज की यह प्रथा—————–।।


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