रंग बदलती दुनिया में | ऑनलाइन बुलेटिन
©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़
परिचय– मुंबई, आईटी सॉफ्टवेयर इंजीनियर.
रंग बदलती दुनिया में, हर दिन रंग बदलता है
कोई गुस्से में लाल तो कोई ज़ख़्म हरा करके चलता है
फाल्गुन तेरी होली के रंग का खेल बड़ा मतवाला है
सारे बन्धन छोड़ कर रंग जाता हर दिलवाला है
ईर्ष्या, बुराई सब कुछ, अग्नि में जल जाता है
यूँही नही होलिका दहन देश में मनाया जाता है
बुरा न मानो होली है, कहते रंग दे जाते हैं
एक हल्की सी मुस्कान के आगे, सब रंगीन हो जाते है
खुशियों में रंग के भी इतना रखना ध्यान
किसी जानवर को भी ग़लती से न रंग जाना
तुम तो धो लोगे साबुन से घर आकर
पर बाबू, उसका कोई नहीं है ठिकाना।
आंखों में या मुंह में कोई रंग न जाये
चिंता लगे जब मन को, डॉक्टर को दौड़ लगाए
जल है अनमोल प्यारे, ज़्यादा न करना बर्बाद