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पिता है पता | Newsforum

©अविनाश पाटले, मुंगेली, छत्तीसगढ़


 

पिता बताते जीने का पता

उनसे बढ़ नहीं कोई नाता

यही हमारे भाग्य विधाता

उंगली पड़क सिखाया चलना

सीख गये गिरते, संभलते चलना

जो बताते एक सही रास्ते

वजूद हमारे उनके वास्ते

पूरी करते हमारे हर इच्छा

पिता जैसे कोई न अच्छा

अपने कमाई खिलाते हमें

अच्छे कपड़े पहनाते हमे

स्कूल भेजते डांट दुलार

वो देते पैसे करके जुगाड़

पिता का फर्ज निभाते है

अपने अनुभव बताते है

हर दुःख, दर्द सहते है

पिता साथ हमेशा रहते है

पिता सुनाते जीवन किस्सा

नहीं करते हम पर गुस्सा

पिता जग में पहचान बनाते

अनजान भी अपने नाम बताते

कभी डांटते और दुलारते भी है

बेटा कहकर वो पुकारते भी है

पिता है जीवन का ज्ञाता

पिता सीखाते है सभ्यता

पिता में है कई रहस्य

पिता बनाते हमारे सुंदर भविष्य

पिता ही सच्चे भगवान है

जग में यही महान है

आज मैं रहता जन्म से अजनबी

पर पिता का देंन है जो हूँ मैं कवि

आज मैं भी हूँ एक पिता

लिखता हूँ इतिहास बीता

मैं इसीलिए कहता हूं कि

पिता सदैव है जिता

पिता बताते जीने का पता

उनसे बढ़ नहीं कोई नाता

यही हमारे भाग्य विधाता …


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