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दिल को बड़ा समझाना पड़ा …

©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़

परिचय- मुंबई, आईटी टीम लीडर


 

हकीकत से रु-ब-रु कराना पड़ा।

दिल को बड़ा समझाना पड़ा।

ज़ुबान के रिश्ते फिसल जाते हैं,

हर एक तह पे पेवंद लगाना पड़ा।

 

दिमाग से लोग खेलते हैं यहां,

सिक्के का हर पहलू दिखाना पड़ा।

दिमाग है बहुत ही कश्मकश में,

दिल को हर बात बताना पड़ा।

 

जज़्बात की कद्र है किसे यहां,

लहरों के संग किनारा लगाना पड़ा,

आज मिली इजाज़त दिमाग को ऐ दिल,

ये दिल की दुनिया कहीं और बसाना पड़ा।

 

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