भारतीय संविधान….!
संकल्नकर्ता:- अर्जुन खुदशाह
परिचय:- बिलसपुर, छत्तीसगढ़
मैंने तो उपहार दिए हैं,
मौलिक भी अधिकार दिए हैं।।
धर्म कर्म संसार दिया है,
जीने का अधिकार दिया है।।
सबको भाषण की आजादी,
कोई भी बन जाये गांधी।।
लेकिन तुमने अधिकारों का,
मुझमे लिक्खे उपचारों का।।
क्यों ऐसा उपयोग किया है,
सब नाजायज भोग किया है।।
मेरा यूं अनुकरण किया है,
जैसे सीता हरण किया है।।