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kinnar ka pyaar : किन्नर का प्यार भाग _15

kinnar ka pyaar
श्याम कुंवर भारती

©श्याम कुंवर भारती

परिचय- बोकारो, झारखंड


 

नलाइन बुलेटिन डॉट इन : kinnar ka pyaar : सुनंदा और राखी कॉलेज के पुस्तकालय में कानून के विषय की पुस्तके पढ़ रही थी। तभी राखी ने धीरे से सुनंदा से कहा _ मैं सोच रही हूं सखी राहुल जितना तुम्हारे लिए पागल हुए जा रहा है।अगर उसे पता चल जाए कि तुम एक किन्नर हो तो क्या वो तुम्हे तब भी उतना ही प्यार करेगा।

 

यही तो देखना है यार की राहुल मेरे बारे में सच जानने के बाद कैसे प्रतिक्रिया करता है।क्या वो मुझे रूप रंग और खूबसूरती से प्यार करता है या मेरी आत्मा से प्यार करता है।

 

सुनंदा ने गंभीर होकर कहा।

 

मैं तो कहती हूं तुम उसे सब सच सच बता दो ।वैसे भी एक दिन उसे सब सच पता चलना ही है।राखी ने उसे समझाते हुए कहा।

 

कैसे कह दूं यार मैंने निर्णय लिया है की जब तक वो अपनी पढ़ाई पूरी नही कर लेता। क्योकी इससे वो विचलित हो सकता है।उसकी पढ़ाई प्रभावित हो सकती है।और यह सब मैं नही चाहती । सुनंदा ने कहा।

 

दिल्ली जाने के बारे में क्या सोचा है।तुम उससे मिलेगी या यहां बुलाओगी।राखी ने फिर पूछा ।

यहां बुलाने से उसकी पढ़ाई पर असर पड़ेगा मैं ही चली जाऊंगी । तु भी चलेगी क्या मेरे साथ ।सुनंदा ने पूछा।

 

अरे नही मैं तुम दोनो के बीच में क्या करूंगी ।राखी ने मना करते हुए कहा।

 

मैं अपने मम्मी पापा से बात करके उनसे सहमति ले लेती हूं।फिर एक दिन के लिए जाऊंगी।

 

और मिलकर आ जाऊंगी । सुनंदा ने कहा।फिर उससे तभी मिलूंगी जब वो अपने सारे एग्जाम पास कर लेगा।

 

तभी वहा उनके क्लास का ही एक लड़का प्रवेश पांडेय आया ।उसने कहा अरे तुम लोग यहां बैठी हो जल्दी चलो आज उच्च न्यायालय के दो जज आए है जो अपना अनुभव सुनाएंगे जो उन्हे अलग अलग केसों में फैसला सुनाया है।

 

प्रवेश पांडेय उनके क्लास का बड़ा तेज तर्रार लड़का था ।सब लोग उससे सलाह लेते रहते थे ।उसके पिता शिव दयाल पांडेय एक नामी वकील थे।

 

प्रवेश सुनंदा को बहुत पसंद करता था।लेकिन सुनंदा कभी उसे तरजीह नहीं देती थी।फिर भी वो उसके पीछे पड़ा रहता था।

 

सुनंदा ने कहा _ अरे हां हम लोग तो भूल ही गए थे ।चलो चलते है सखी ।

 

फिर तीनों कॉलेज के सभा कक्ष की ओर चले गए।(kinnar ka pyaar)

 

सुनंदा को बड़ी मुश्किल से उसके माता पिता से राहुल के पास दिल्ली जाने की इजाजत मिली थी ।

 

वो बहुत खुश हुई ।उसने राहुल की मां को फोन करके कहा_ आंटी मैं दिल्ली जा रही हूं।अगर आपको राहुल के लिए कुछ देना है तो दे देना ।ठीक है बेटी तुम कल आ जाना मैं उसके खाने के लिए कुछ सुखा नाश्ता बना दूंगी।

 

सुनंदा अपने कॉलेज से सीधे राहुल के घर चली गई।साथ में राखी भी थी।

 

सुनंदा को देखकर राहुल की मां प्रज्ञा देवी बहुत खुश हुई।

 

उसके बहन भाई भी इसे भाभी भाभी कहकर उससे लिपट गए।

 

अरे तुम दोनो मुझे भाभी क्यों कह रहे हैं। सुनंदा ने आश्चर्य से पूछा।

 

क्योंकि मम्मी आपके साथ मेरे राहुल भईया का रिश्ता तय करने वाली है।लवली ने मुस्कुरा कर कहा ।

 

जब विवाह होगा तब भाभी कहना अभी दीदी बोल सकते हो दोनो ।सुनंदा ने हंसकर कहा।

नही नही हम तो भाभी ही कहेंगे।लवली ने जिद किया ।

 

कहने दो न बेटी इन्हे जो कहना है आखिर तो एक दिन तुम्हे इनकी भाभी तो बनना ही है।

राहुल की मां ने मुस्कुराते हुए कहा।फिर एक बैग लाकर सुनंदा को दे दी और बोली लो इसमें राहुल के लिए खाने का सामान है उसे देकर कहना खूब मन लगाकर पढ़ाई करे और अपना ख्याल रखे।इसके बाद दोनो को चाय नाश्ता लाकर दी। आंटी हम दोनो चाय नाश्ता नही करेंगे घर जाने में देर हो रही है।

 

बिना कुछ खाए पिए तो नही जाने दूंगी तुम दोनो को राहुल की मां ने जिद किया।

 

उस दिन राखी और सुनंदा रेलवे स्टेशन पर दिल्ली जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रही थी।राखी उसे छोड़ने आई थी।

 

तभी वहा प्रवेश पांडेय आया । सुनंदा को देखकर बहुत खुश हुआ और लपकते हुए उसके पास आया।

 

अरे सुनंदा तुम यहां! कही जा रही हो क्या ।

हां दिल्ली जा रही हूं तुम भी कही जा रहे हो क्या।सुनंदा ने उसकी बात का जवाब दिया।

ओह अच्छा मैं गाजियाबाद जा रहा हूं अपने चाचा के घर उनके लड़के की शादी है।दो तीन दिन में फिर वापस आ जाऊंगा।

 

अच्छा है सुनंदा ने कहा।

 

मतलब हम दोनों एक ही ट्रेन से जाने वाले है ।दिल्ली से पहले गाजियाबाद आएगा।प्रवेश ने खुश होकर कहा।

 

राखी ने कहा _ ये तो अच्छा हुआ तुम गाजियाबाद तक सुनंदा का ख्याल रखना ।

 

प्रवेश ने खुश होकर कहा _ क्यों नही तुम चिंता मत करो।मैं इसे किसी बात की दिक्कत नही होने दूंगा।

 

लेकिन सुनंदा को उसकी बात का कोई असर नही हुआ।

 

तभी ट्रेन आ गई।सुनंदा को उसके पिता का रेलवे कर्मचारी होने के कारण पास मिल गया था।उसे स्लीपर क्लास में सीट मिली थी ।

राखी उसे ट्रेन में चढ़ाकर घर वापस आ गई।फोन करते रहने की हिदायत दिया था।

 

प्रवेश का बर्थ थर्ड एसी में था।लेकिन सुनंदा की वजह से उसने उसकी सिट के बगल वाले यात्री को अपनी बर्थ एसी में भेज दिया और सुनंदा की सामने वाली बर्थ पर बैठ गया।

 

सबको लगा दोनो दोस्त होंगे इसलिए किसी ने दोनो पर ध्यान नहीं दिया।

 

प्रवेश थोड़ी थोड़ी देर पर सुनंदा से चाय नाश्ता पानी पूछते रहता था।उसकी खातिरबारी से सुनंदा तंग आ रही थी लेकिन बाकी यात्रियों के सामने कुछ कह नहीं पा रही थी ।उसने कहा _ तुम परेशान मत हो प्रवेश मुझे जब जरूरत पड़ेगी तुमसे कह दूंगी ।

 

लेकिन वो मानने को तैयार नहीं था।उसके लिए फल आदि खरीद लाया। सुनंदा ने चुपचाप सब रख लिया और कहा तुम बेकार में परेशान हो रहे हो ।

 

सुबह में प्रवेश गाजियाबाद उतर गया उसे अपना नंबर देते गया और बोला कोई दिक्कत हो तो मुझे फ़ोन करना ।

 

सुनंदा दिल्ली स्टेशन पर उतरी तो राहुल को उसका इंतजार करते पाया।

 

वो बहुत खुश हुआ । ओह सुनंदा मैं बता नहीं सकता तुमको यहां देखकर कितनी खुशी हो रही है मुझे ।

 

तुम्हारी खुशी के लिए ही तो आई हूं राहुल ।उसने मुस्कुराते हुए कहा।(kinnar ka pyaar)

 

राहुल उसका सामान लेकर प्लेटफार्म से बाहर निकल गया और एक ऑटो में उसे बैठाकर अपना पता बताकर चलने को कहा ।

 

थोड़ी देर में दोनो राहुल के फ्लैट पर पहुंच गए जहा नीलम दोनो का इन्तजार कर रही थी।

सुनंदा को देखकर वो उसे आश्चर्य से देखती रह गई ।तुम तो सच में बहुत सुंदर हो ।राहुल यूं ही नही तुम्हारा दीवाना है ।

 

तारीफ करना छोड़ो नीलम इसे अपने कमरे मे ले जाओ और फ्रेस होने दो फिर किसी रेस्टूरेंट में खाना खाने जायेंगे।

 

एक घंटे बाद दोनो एक रेस्टुरेंट में खाना खा रहे थे।

 

तुम्हारा किन शब्दों से शुक्रिया अदा करूं सुनंदा मेरे पास शब्द नहीं है।तुम एक बुलावे पर दिल्ली चली आई।

 

थैंक यू कहने की जरूरत नहीं है राहुल मैं तुम्हारे लिए नही बल्कि तुम्हारे भविष्य के लिए आई हूं।

 

सुनंदा ने मुस्कुरा कर कहा।

 

चाहे जिस वजह से आई हो ।आई तो मेरे लिए ही हो न यार।मैं तो बहुत खुश हूं।

 

राहुल ने खुश होकर कहा ।

 

मेरी कल शाम की ट्रेन है ।मैं कल चली जाऊंगी लेकिन तुम्हे समझा रही हूं।अपने दिल पर काबू रखो ।और अपना सारा ध्यान अपनी पढ़ाई पर दो ।अब मैं तुमसे तब ही मिलूंगी जब तुम अपनी सभी परिक्षा पास कर लोगे।

 

सुनंदा ने गंभीर होकर कहा।

 

इतना बड़ी सजा मत देना यार मैं तुमसे वादा करता हूं तुम्हारे जाने के बाद अपना सारा ध्यान अपनी पढ़ाई पर लगा दूंगा।लेकिन फिर से मिलने का वादा करके जाओ।

 

इसके बाद दोनों एक पार्क में गए।एक पेड़ के नीचे दोनो बैठ गए ।पार्क में काफी जोड़े बैठे हुए आपस में बात चीत कर रहे थे।लेकिन वहा आसपास कोई नहीं था।राहुल उसके काफी करीब आ गया।उसने सुनंदा का हाथ पकड़कर कहा _ तुमको पाकर मैं अपने आपको सबसे खुशनसीब समझता हूं ।

 

मैं तुम्हारा साथ कभी नहीं छोडूंगा।

 

मुझे भी तुमको पाकर बहुत खुशी हो रही है।लेकिन समय बड़ा बलवान होता है राहुल ।कब किस करवट लेगा किसी को कुछ पता नही चलता है।सुनंदा ने गंभीर होकर कहा।

 

चाहे समय जो करवट ले मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा।

 

वो तो समय बताएगा राहुल । सुनंदा ने कहा।

आज तुम कैसी दार्शनिक जैसी बाते कर रही हो यार ।क्या तुम्हे मुझपर विश्वास नहीं है सुनंदा।इतना कहते कहते वो उसके और करीब आ गया।इतनी की दोनो की सांसों का एहसास दोनो को हो रहा था।(kinnar ka pyaar)

 

सुनंदा अपना होश खोने वाली थी लेकिन उसे अपनी हकीकत का ख्याल आया और उठ कर खड़ी हो गई और बोली अब चलना चाहिए राहुल।

 

राहुल ने उसका हाथ पकड़कर कहा _ अभी तो आई हो और जाने की बात कर रही हो यार ।वो तड़प उठा था ।उसे सुनंदा का इस तरह उठना खल रहा था।

 

होश में आओ राहुल अभी समय नही आया है की हमदोनों इतने करीब आने का ।इतना कहकर वो आगे बढ़ गई।राहुल उसके पीछे पीछे लपकता हुआ आने लगा।

 

अगले दिन दोनो और कई जगह घूमने गए। इस दरम्यान राहुल कई बार उसके करीब आने का प्रयास किया लेकिन सुनंदा उससे बचती रही।

शाम को उसने ट्रेन पकड़ लिया।

 

घर आते ही उसके दरवाजे पर हंगामा हो रहा था ।उसने देखा वही पुष्पा किन्नर अपने दल बल के साथ उसके माता पिता से बहस कर था। वहा काफी लोग जमा हो गए थे। पुष्पा चिल्ला चिल्ला कर कह रही थी _ तुम्हारी बेटी एक किन्नर है मैं दावे के साथ कह सकती हूं ।

मैं तुम्हारी बेटी को अपने साथ हर हाल में ले जाऊंगी।

 

उसकी बात सुनकर सुनंदा अवाक रह गई।इतन गोपनीय राज इसे कैसे पता चल गया।उसके पैरो तले जमीन खिसकती नजर आई।

 

सुनंदा को आते देख सब लोग उसे आश्चर्य से देख रहे थे । किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था की वो एक किन्नर है।

 

उसके माता पिता हैरान परेशान उस किन्नर से बहस कर रहे थे।हमारी बेटी किन्नर नही है।हम तुम्हे उसे ले जाने नही देंगे अब तुम जाओ यहां से । यहां हमारा तामसा मत बनाओ।

 

सुनंदा शर्म के मारे जमीन में धंसी जा रही थी।अचानक यह सब कैसे हो गया।उसने तो ऐसी कल्पना भी नही की थी।अब क्या होगा । यह सब सोचकर उसकी आंखो के सामने अंधेरा छाने लगा और वो बेहोश होकर गिर पड़ी।उसके माता पिता ने लपकर उसे संभाल लिया।(kinnar ka pyaar)

 

शेष अगले भाग _ 16 में 

 

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श्याम कुंवर भारती

 

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