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प्रेम रंग में सब रंगे | newsforum

©सरस्वती साहू, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

प्रेम रंग में सब रंगे, होता प्रेम रसाल

जीत लिया जग प्रेम से, मिटते सभी मलाल

 

प्रेम रूप जननी जगत, सींचे ममता धार

मधुवन बन जाये जगत, बहे प्रेम रसधार

 

भक्ति भाव में प्रेम ही, ग्रहण करे भगवान

प्रणय आत्म उद्धार है, खोल नयन इंसान

 

जब-जब मन बोझिल हुआ, होता जन आघात

कटु वाणी भी भेद दे, मन पर करे विघात

 

जब तक रहता प्रेम गुण, भार सहन हो जाए

क्रोध, कपट की भावना, निकट कभी ना आए

 

प्रेम रंग में सब रंगे, नर, नारी सब प्राण

प्रेम सुधा रसपान से, होत आत्म निर्वाण


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