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सुप्रीम कोर्ट ने OROP स्कीम के अमल पर केंद्र की दलील को स्वीकारा, 3 महीने का और दिया अतिरिक्त समय | ऑनलाइन बुलेटिन

नई दिल्ली | [कोर्ट बुलेटिन] | शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को OROP (वन रैंक वन पेंशन) योजना को लागू करने के लिए दिसंबर तक का समय दे दिया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि OROP (वन रैंक वन पेंशन) योजना का पुन: निर्धारण समय लगने वाली प्रक्रिया है जिसके लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई थी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की ओर से 16 मार्च को पारित एक निर्देश में OROP (वन रैंक वन पेंशन) योजना में 3 माह के भीतर पेंशन को फिर से तय करने का निर्देश दिया था।

 

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जून में एक आवेदन दिया था, जिसमें 3 महीने की समय सीमा समाप्त होने से ठीक पहले देरी का कारण बताते हुए 3 और महीने का समय मांगा था। अब जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ ने केंद्र के आवेदन को स्वीकार करते हुए दिसंबर तक का समय दे दिया। कोर्ट ने इस बात को स्वीकार किया कि अदालत के आदेश को पारित होने के बाद से कुछ प्रगति हुई है।

 

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के सामने रखी यह दलील

 

सरकार ने कोर्ट को बताया कि न्यायालय की ओर से पारित निर्देशों का पालन करने के लिए कदम उठाया जा रहा है जिसके लिए कैबिनेट की मंजूरी की आवश्यकता है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद, रक्षा लेखा महानियंत्रक (CGDA) की ओर से कई प्रकार की पेंशन टेबल तैयार करने की आवश्यकता होगी, ऐसे में यह एक समय लगने वाली प्रक्रिया है।

 

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एन वेंकटरमन ने अदालत को बताया कि आवेदन की दाखिल किए 3 महीने का समय बीत चुका है, सरकार को अभी भी 3 महीने और महीने की आवश्यकता है।

 

15 दिसंबर तक का दिया समय

 

केंद्र सरकार के अनुरोध को स्वीकार करते हुए पीठ 31 दिसंबर तक का समय देने के लिए तैयार थी, लेकिन बाद में आज से 3 महीने के लिए उसे संशोधित कर दिया। जिसके बाद अब सरकार को 15 दिसंबर तक का समय दे दिया। केंद्र सरकार के आवेदन का भारतीय पूर्व सैनिक आंदोलन ने विरोध किया। भारतीय पूर्व सैनिक आंदोलन ने ही 2016 में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष वन रैंक वन पेंशन योजना को चुनौती दी थी।

 

हर 5 साल में पेंशन के पुनर्निर्धारण की बात

 

इस योजना में प्रत्येक 5 वर्ष के बाद पेंशन के पुनर्निर्धारण की परिकल्पना की गई थी। यह प्रक्रिया वर्ष 2019 में की जानी थी लेकिन मामला कोर्ट में लंबित होने के कारण केंद्र ने यह कवायद नहीं की। मार्च के अपने आदेश में कोर्ट ने कहा, हम निर्देश देते हैं कि 7 नवंबर, 2015 के कम्यूनिकेशन के संदर्भ में, 5 साल की समाप्ति पर 1 जुलाई 2019 से फिर से निर्धारण किया जाएगा।

 

 

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