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सर्वोच्च अदालत ने एससी-एसटी को प्रमोशन में आरक्षण पर दिए फैसले में क्या कहा, पढ़ें पूरी खबर l ऑनलाइन बुलेटिन

नई दिल्ली l (कोर्ट बुलेटिन) l सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी जॉब्स में एससी और एसटी श्रेणी के उम्मीदवारों को प्रोमोशन में आरक्षण देने के मामले में अपना फैसला शुक्रवार 28 जनवरी 2022 को सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को प्रोमोशन में आरक्षण (reservation in promotion) देने के नियमों में कोई बदलाव नहीं होगा।

 

यहां नीचे जानिये कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे पर ऐसा क्यों कहा है।

 

क्या है पूरा मामला, जानें

 

इस मामले पर न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ सुनवाई कर रही है। केंद्र ने इससे पहले पीठ से कहा था कि यह जीवन की सच्चाई है कि लगभग 75 वर्षों के बाद भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबंधित लोगों को अगड़ी श्रेण‍ियों के समान योग्यता के स्तर पर नहीं लाया गया है।

 

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने जो दस्तावेज जमा किए हैं, उसमें कहा है कि एससी और एसटी से संबंधित लोगों के लिए समूह ए श्रेणी की नौकरियों में उच्च पद प्राप्त करना अधिक कठिन है और समय आ गया है जब शीर्ष अदालत को एससी, एसटी और अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों के लिए कुछ ठोस आधार बनाना चाहिए।

 

इस न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सरकारी नौकरी में प्राेमोशन में अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को आरक्षण देने के मुद्दे पर अपने फैसले को फिर से नहीं खोलेगी और कहा कि यह राज्यों को तय करना है कि वे इसे कैसे लागू करना चाहते हैं

 

कोर्ट ने कहा है कि नागराज (2006) और जरनैल सिंह (2018) मामले में संविधान पीठ के फैसले के बाद शीर्ष अदालत कोई नया पैमाना नहीं बना सकती। इस मामले में कोर्ट ने 26 अक्टूबर 2021 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

 

सर्वोच्च अदालत ने कहा, इस पर केंद्र या राज्य सरकारें ही फैसला करें। हम अपनी तरह से कोई पैमाना तय नहीं करेंगे। कोई भी फैसला करने से पहले उच्च पदों पर नियुक्ति का आंकड़ा जुटाना जरूरी है। यानी वस्तु स्थिति बरकरार रहेगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 6 बिंदू तय किए हैं। अब अलग-अलग मामलों में इन बिंदुओं के आधार पर देखा जाएगा कि केंद्र या राज्य सरकार ने क्या किया है। ऐसे मामलों की सुनवाई अब 24 फरवरी से होगी।

 

इससे पहले शीर्ष अदालत ने 26 अक्टूबर 2021 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) बलबीर सिंह के साथ ही मध्य प्रदेश, झारखंड समेत विभिन्न राज्यों के वरिष्ठ वकीलों ने सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखा।

 

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि यह सच है कि देश की आजादी के 75 साल बाद भी अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय के लोगों को अगड़ी जातियों के स्तर पर नहीं लाया जा सका है।

 

वेणुगोपाल ने तर्क दिया था कि एससी और एसटी समुदायों के लोगों के लिए ग्रुप “ए” श्रेणी की नौकरियों में उच्च पद प्राप्त करना अधिक कठिन है। अब समय आ गया है कि सुप्रीम कोर्ट एससी, एसटी और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के रिक्त पदों को भरने के लिए कुछ ठोस आधार दे।


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