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धम्मपदं- जिसके मन में मैल नहीं; जाग्रत, सजग, शुद्ध चित्त वाले ऐसे व्यक्ति को कोई भय नहीं होता | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

डॉ. एम एल परिहार

©डॉ. एम एल परिहार

परिचय- जयपुर, राजस्थान.


 

 

अनवस्सुतचित्तस्स, अनन्वाहतचेतसो ।

पुञपापपहीणस्स, नत्थि जागरतो भयं ।।

 

 

जिसके चित्त में राग-द्वेष नहीं है, विकार रहित है, जिसका चित्त स्थिर है, जिसके मन ने पाप (evil)और पुण्य ( good) को छोड़ दिया. उस सजग, सावधान, जाग्रत रहने वाले व्यक्ति (vigilant)को कोई भय नहीं होता।

 

व्यक्ति के मन की अभय की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन अभय का अर्थ निर्भय नहीं है। दोनों के भावार्थ में रात-दिन का फर्क है। निर्भय का अर्थ है जो अंदर से तो बहुत भयभीत है डरा हुआ है लेकिन बाहर से वह डर प्रकट होने नहीं देता है और बहादुरी का दिखावा करता है। इससे अलग अभय की अवस्था होती है जहां भय और निर्भय दोनों ही नहीं होते हैं।

 

कौन व्यक्ति अभय का जीवन जीता है? कौन से चित्त में अभय आता है? जिस चित्त में राग नहीं, उस चित्त में द्वेष भी नहीं होता है। यह सांसारिक है क्योंकि राग से ही द्वेष पैदा होता है।

 

राग (craving) का अर्थ है, गहरा लगाव, किसी व्यक्ति या वस्तु के प्रति गहरा मोह, तीव्र इच्छा। किसी वस्तु को पाने पर सुख और उस वस्तु के न होने पर द्वेष, दुख प्रकट करता है।

 

राग का अर्थ है जिसको यह समझ आ गया और यह विचार छोड़ दिया कि दूसरे से सुख मिलेगा। पद, प्रतिष्ठा, धन-दौलता, परिजन, मित्र, मकान आदि से जो सुख की आशा करता है तो राग पैदा होता है और इनके छूट जाने का हमेशा भय रहता है। जो दूसरे व्यक्ति या वस्तु से मन के सुख शांति की आशा करता है, वह राग पैदा करता है, उनके न होने पर द्वेष और दुख ही मिलता है।

 

लेकिन जाग्रत व्यक्ति अपने मन पर राग-द्वेष का मैल नहीं जमने देता है ऐसे चित्त वाला व्यक्ति पाप-पुण्य से भी मुक्त होता है क्योंकि पाप-पुण्य, सुख और दुख के ही सूक्ष्म रूप हैं। सजग, शुद्ध चित्त वाले ऐसे व्यक्ति को कोई भय नहीं होता।

 

जबकि सोया हुआ व्यक्ति, असावधान चित्त का व्यक्ति डर के मारे कांपता है कि कहीं कोई उसके पास जो कुछ है उसे छीन न ले। जाग्रत, ध्यानी, ज्ञानी को कोई भय नहीं रहता क्योंकि उसे पता है कि उसके पास जो कुछ है वह स्वयं का ज्ञान है, ध्यान है, प्रज्ञा है जिसे कोई छीन नहीं सकता। वह संपदा न जल सकती है और न खो सकती है। ऐसा व्यक्ति भय से मुक्त हो जाता है। अभय का जीवन जीता है.

 

सबका मंगल हो …सभी प्राणी सुखी हो ….

 

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