शिक्षक अशोक की विदाई…
©अशोक कुमार यादव
जिस रास्ते पर चलता था,
आज वही रास्ता अनजाना हो गया।
मैं जिस स्कूल में पढ़ाता था,
आज वही स्कूल बेगाना हो गया।।
मन नहीं लगता अब कहीं,
हर घड़ी, बीती बातें याद आती है।
बस में नहीं है कुछ भी मेरा,
अतीत की परछाई बहुत सताती है।।
जीवन परिवर्तन शील है,
निरंतर, एक आता है, एक जाता है।
उदास मन को देता हूँ प्रबोध,
एकांत, दुःख की विरह गीत गाता है।।
चला गया एक ज्ञान गुरु सोच,
बेजुबान आँखें, आँसूओं से भर आई।
आते रहना, हमें भूल न जाना कह,
शिक्षकों और विद्यार्थियों ने दी विदाई।।
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