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कैसे बदला है मौसम- – –

©गायकवाड विलास

परिचय- मिलिंद महाविद्यालय, लातूर, महाराष्ट्र


 

 

 

कैसे बदला है ये मौसम,कैसे बदली है यहां की बहारें,

उस मिट्टी को कौन देखें,अब गुंजते नहीं देशभक्ति के नारे।

 

ज्ञान के उजालों ने कैसे बदल दिया इस ज़माने का नजरिया,

बढ़ गई दरारें और उदासियों में डुब गई है नगरिया।

 

भीड़ बहोत है रास्तों पर,मगर सभी एक-दूसरे से अंजान है,

बदली हुई हवाओं में,कहां खोएं अब ये इन्सान है।

 

बिखेरते हुए जहां में,वो अपना ही घर संवरने लगे है,

पहले बचाओ इस जहां को,उजड़े हुए चमन में फूल भी कहां रहते है।

 

भूल ना जाओ तुम कभी,वो गुज़रा हुआ आजादी का दर्दनाक मंज़र,

इस मिट्टी को आजाद किया है उन शहीदों ने,अपने लहू से सींच कर।

 

किसी जन्नत से कम नहीं है,ये हमारा सुन्दर खिला हुआ जहां,

कल्पनाओं में है वो जन्नत,हंसती खिलती कलियों में देखो ये जहां।

 

कैसे बदला है ये मौसम,कैसी बदली है यहां की बहारें,

कैसी रूत आयी,बदले हुए है अब यहां सभी इन्सानों के चेहरे।

 

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