.

जीवन में अनिवार्य है, हितकारी बदलाव | newsforum

©सरस्वती साहू, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

स्वाभिमानी कहलाये, प्रणम्य अंतर्भाव

जीवन में अनिवार्य है, हितकारी बदलाव

 

क्रोध, कपट चूसे सदा, निज अंतस के खून

प्रेम खिलाता है मनुष, सुंदर सरस प्रसून

मन से मन को जोड़ ले, बेहद सुंदर भाव

जीवन में अनिवार्य है, हितकारी बदलाव…

 

दुर्लभता से अब मिले, जीवन में सत्संग

जो मानव को जोड़ दे, मानवता के संग

कालसर्प बन डस रहा, भीतर-भीतर घाव

जीवन में अनिवार्य है, हितकारी बदलाव….

 

कांटा मन निज बोंइ है, औरन सुख को देख

हरा सका न कोई भी, नीयत जिसकी नेक

सहेज ले गुण भंडार, देता सहज सुझाव

जीवन में अनिवार्य है, हितकारी बदलाव…

 

हृदयपात होता रहा, भीतर मन के छेद

दुर्गमता छाती गई, अहंकार दुर्भेद

गर्त गति को चाल चले, दुष्ट अधर्मी छाँव

जीवन में अनिवार्य है, हितकारी बदलाव…

 

प्रभु भेजे संसार में, मानव तन के साथ

सीख धर्म के सार को,  दीप्तिमान हो पाथ

अंर्तमन नित स्वच्छ रहे, उत्तम रहे प्रभाव

जीवन में अनिवार्य है, हितकारी बदलाव…

 

घूर-घूर कर देख जो, काली नजर ठिकाय

एक दिन नजर के साथ, मुँह काला हो जाय

प्रार्थित  हो नित कामना, ज्योतिअनंत प्रभाव …

 

स्वाभिमानी कहलाये, प्रणम्य अंतर्भाव

जीवन में अनिवार्य है, हितकारी बदलाव …


Back to top button