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कैसा चुनाव | ऑनलाइन बुलेटिन

©द्रौपदी साहू (शिक्षिका)

परिचय– कोरबा, छत्तीसगढ़, जिला उपाध्यक्ष- अखिल भारतीय हिंदी महासभा.


 

आजकल के नेता या उम्मीदवार, मतदाता से उनका मत  खरीदते हैं और मतदाता अपना मत बेचते हैं। न तो उम्मीदवार ईमानदार हैं और न मतदाता ईमानदार हैं। जब सभी बेईमान हैं तो किसकी और कैसे पहचान करें!

 

चुनावी दौर आते ही सभी अपने-अपने प्रचार के लिए जुट जाते हैं। कितने सारे वादे-कसमें खाते फिरते हैं और लोगों के विश्वास जीतने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। जीत हासिल करने के लिए न जाने कितने प्रलोभन देते हैं। लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए विभिन्न प्रपंच रचते हैं। कुछ लोग उनके प्रपंच जानते वे समझते हैं, फिर भी वे उनके प्रपंचों का मजा लेते हैं।

 

चुनाव भी एक खेल बनकर रह गया है। जो जितना पैसा उड़ाएगा, लोगों को जितना ज्यादा खुश कर पायेगा, वहीं चुनाव जीतेगा। आज के दौर में जिसके पास पैसा है, चुनाव लड़ने की हैसियत भी उसी की है। यदि कोई ईमानदार व्यक्ति चुनाव लड़ने के लिए उठ भी गया तो न तो  मतदाता उसे जिताते हैं और न ही अन्य उम्मीदवार उसे जीतने देते हैं।

 

बकरा, मुर्गा, शराब और कुछ पैसे मिल जायें, बस  यहीं जिंदगी है लोगों के लिए। उन्हें और कुछ भी नजर नहीं आता। वे खुद ही अपना मत बेचने के लिए तैयार बैठे रहते हैं कि कब उनका मत खरीदने के लिए कोई आए। जब कोई खरीददार आता है तो वे बहुत खुश होते हैं और उन्हें अपना हितैषी समझते हैं। जब चुनाव होता है, तब मत भी उसी को देते हैं क्योंकि जिसका खाए हैं, उसका गुण तो गाएँगे ही।

 

चुनाव में जीता तो दिए, अब जीतने के बाद उसकी नीयत बदलने में देर नहीं लगती। जो रोज सुबह- शाम पूछता था, अब वह देखकर भी अनजान बनता है। जितना पैसा चुनाव में उसने खर्च किए, अब वह उसकी भरपाई करने की सोचता है।

 

लोग जब परेशानी में होते हैं तो अपनी समस्या सुलझाने के बारे में सोचते हैं और उन समस्याओं को लेकर नेता या प्रतिनिधि के पास जाते हैं। वे उनकी समस्या सुनते हैं और उन्हें ‌उसके समाधान की लम्बी- चौड़ी प्रक्रिया समझाते हैं। इस तरह कई दिनों तक यहाँ से वहाँ चक्कर काटते‌ हैं। फिर भी उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाता है तब वे सोचने लगते हैं कि इन्हें जिताना ही नहीं था। पद में आकर सब भूल‌ गया है। कोई काम का नहीं है।

 

ऐसे चुनाव का क्या फायदा? जो समय पर काम न आ सके! या अपने गाँव, शहर या अपने क्षेत्र की किसी समस्या को सुलझा न सके!

 


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