बेवफाई का आलम | Onlinebulletin.in | Onlinebulletin
©पुष्पराज देवहरे भारतवासी, रायपुर, छत्तीसगढ़
इश्क़ में धोखा बार – बार होने लगा है
आज कल इश्क़ का व्यापार होने लगा है ||
मतलबी इश्क़ की हवा चल रही है
आज कल मतलबी प्यार होने लगा है ||
छाया है बेवफाई का मौसम चारों ओर
वफ़ा में हर कोई गद्दार होने लगा है ||
पहन मुखौटा प्यार का घूम रहे है
इश्क़ में मक्कार हजार होने लगा है ||
दो जिस्म के छुवन को प्यार समझ बैठे है
इसलिए प्यार शर्मशार होने लगा है ||