इस्कॉन…

©रामकेश एम यादव
परिचय- मुंबई, महाराष्ट्र.
चलो ईश्वर को चलके देखते हैं,
एक बार नहीं, हजार बार देखते हैं।
सारी कायनात है उसकी बनाई,
आज चलो मुक्ति का द्वार देखते हैं।
सृजन – प्रलय खेलता है उसके हाथ,
चलकर उसका श्रृंगार देखते हैं।
आँख से आँख मिलाएँगे उससे,
उसका अलौकिक संसार देखते हैं।
महकती वो राहें बसंत के जैसी,
चलकर इस्कॉन की बहार देखते हैं।
मिलेगा न मोक्ष शराब औ शबाब से,
भक्तों का चलकर दुलार देखते हैं।
परियों के पीछे घूमते रह जाओगे,
छोड़ दुनियादारी वो फुहार देखते हैं।
राधा-कृष्ण की देखो छबि है निराली,
देवकी के नन्दन का हार देखते हैं।
हाईटाइड है जुहू-बीच की उफान पे,
चोट खाती लहरों का प्यार देखते हैं।
नदी तो एक है पर बहुत से हैं घाट,
आज उस कृष्ण का दरबार देखते हैं।
न हूँ मैं राधा और न हूँ मैं मीरा,
चलके ठाकुर की सरकार देखते हैं।
सांवली सुरतिया ऊ मोहनी मुरतिया,
राधा का वो चितचोर देखते हैं।

? सोशल मीडिया
फेसबुक पेज में जुड़ने के लिए क्लिक करें
https://www.facebook.com/onlinebulletindotin
व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें
https://chat.whatsapp.com/Cj1zs5ocireHsUffFGTSld
ONLINE bulletin dot in में प्रतिदिन सरकारी नौकरी, सरकारी योजनाएं, परीक्षा पाठ्यक्रम, समय सारिणी, परीक्षा परिणाम, सम-सामयिक विषयों और कई अन्य के लिए onlinebulletin.in का अनुसरण करते रहें.
? अगर आपका कोई भाई, दोस्त या रिलेटिव ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन में प्रकाशित किए जाने वाले सरकारी भर्तियों के लिए एलिजिबल है तो उन तक onlinebulletin.in को जरूर पहुंचाएं।
ये खबर भी पढ़ें: