चैत्र नव वर्ष | ऑनलाइन बुलेटिन
©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़
परिचय– मुंबई, आईटी सॉफ्टवेयर इंजीनियर.
चैत्र नव का प्रथम दिन या गुड़ी पड़वा मनाओ।
सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि रचा सब को बताओ।
विक्रमदित्य ने इसी दिन राज्य की स्थापना की।
विक्रमी संवत का पहला दिन है, जग को सुनाओ।
शक्ति-भक्ति का दिन , नक्षत्र की स्थिति शुभ होती,
मेहनत का फल पाने में, माला उमंगों की पिरोती।
धार्मिक स्थलों को फूलों औऱ रंगोली से सजाते,
देवताओं, महापुरुषों से सम्बंध मंच आयोजित होती।
पुरानी शाखाओं पे, नए – नए पत्ते आ जाते ।
नए मौसम का आग़ाज़, बसन्त हमें बताते।
प्रकृति का बदलाव है ये पावन चैत्र नववर्ष,
भारत वर्ष में इसे बड़ी धूमधाम से मनाते।
सूरज की पहली किरण, लाता खुशियों का भंडार,
मनोकामना होती सब की पूरी, मानता ये संसार।
ह्रदय में बसे प्रकाश को समझो ज्ञान का वरदान,
नव वर्ष मनाए हर्षोल्लास से, लुटाएँ सब पे प्यार।