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एक नई सुबह | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©गणेन्द्र लाल भारिया, शिक्षक

परिचय – कोरबा, छत्तीसगढ़


 

अद्य सवेरा ऐसा, संपूर्ण जगत जाग जाए,

रव रज कण में, अमृत घट-घट बस पाए ।

 

अंग प्रत्यंग उमंग अंतःकरण उल्लसित,

काम क्रोध माया तन से हो निर्वासित।

 

प्रेम स्नेह भाव की धार उर से हो प्रस्फुटित,

संसार सागर से नेह रस हर पल हो प्रवाहित।

 

कर्म अपनी देश सेवा समाज की कर्तव्य,

प्राणी जगत की हर एक  हो बस यही मंतव्य।

 

नववर्ष की भोर में ऐसी समीर चले हर ओर,

खुशहाली का कही न रहे कोई ओर छोर।

 

आह्लादित हर्षित हैं हर जन नववर्ष में,

वर्ष 2023 गुजरे सबका हर्ष उत्कर्ष में।

 

नववर्ष की हार्दिक बधाई और ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ।

 

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