सर्वजन साक्षर दक्ष बोधोत्सव | Newsforum

©अशोक कुमार यादव ‘शिक्षादूत’, मुंगेली, छत्तीसगढ़
पढ़ने-लिखने में है असमर्थ। अधिक आयु ना समझे अर्थ।।
भूल चुका है वर्ण, शब्द, अक्षर। तब कहलाता है वो निरक्षर।।
देकर आखर झांपी का ज्ञान। कराना है नागरिक को संज्ञान।।
दे रहे विद्या स्वयंसेवी शिक्षक। कौशल अर्जित किए दीक्षक।।
समूह में कर रहे हैं अध्ययन। मां सरस्वती की करके वंदन।।
मोहल्ला कक्षा चला निरंतर। कान फूंके गुरु दे दिव्य मंतर।।
गांव, शहर में ज्ञान की ज्योति। सागर से निकाल रहे मोती।।
मरू हृदय में फूल खिला है। तिमिर में गुरु दीपक मिला है।।
बुद्धि को कर रहे आलोकित। नूतन अध्येता पथ प्रदर्शित।।
व्यक्तिगत, सामुदाय, समाज। कई रूपों के महत्त्व प्रकाश।।
निरक्षरता को करने समाप्त। प्रारंभ हुआ शिक्षा पर्याप्त।।
साक्षर भारत अभियान नारा। जनचेतना जागृत का सहारा।।
साक्षरता का देकर भाषण। गरीब जन का हरते विषण्ण।।
शिक्षा अलख जगाने प्रयास। दुर्बल आंखों में जगा आश।।
करेंगे हम सभी नई शुरुआत। पतझड़ में खिलेगा ऋतुराज।।
पावन दिवस करते हैं प्रण। मानव में करेंगे शिक्षा चित्रण।।
मन धधकेगा तीव्र ज्वाला। तब पहनोगे सफलता का माला।।
शिक्षा है सर्वांगीण विकास। लक्ष्य हासिल का जन विश्वास।।
आओ मिलकर करें मंथन। साक्षरता बनाने का आयोजन।।
दुनियाभर ने मनाया उत्सव। सर्वजन साक्षर दक्ष बोधोत्सव।।