बहादुर लाल | ऑनलाइन बुलेटिन
©राजेश श्रीवास्तव राज
परिचय- गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश.
लाल मेरी वसुधा का देखो, जाने कैसे चला गया।
कैसे किसने घात लगाया, लाल हमारा छला गया।१।
माँ राम दुलारी, पिता शारदा, के घर था जब जन्म लिया।
पावन धरा थी मुगलसराय की, आकर उसको धन्य किया।२।
कुल कायस्थ के घर जन्मा, वीर बड़ा अभिमानी था।
लाल बहादुर नाम था उनका, बोली से मृदुभाषी था।३।
कुल में लंबाई में छोटे, वसुधा के खातिर लड़े बहुत।
आजादी के मिलने तक वह, जेलों के पीछे रहे बहुत।४।
अपने गौरव के खातिर ही, शास्त्री नाम मिला उनको। ललिता जी से ब्याह रचा कर,
घर का भार मिला उनको।५।
सन चौंसठ का समय जब आया, गौरव पद को प्राप्त किया।
देश की सत्ता हाथ लिया जब, उन पर सबने अभिमान किया।६।
जय जवान जय किसान का, नारा तेरा था जग में छाया।
एक प्रहर उपवास करा कर, सबने तुमसे था प्रण पाया।७।
भारत पाक का युद्ध हुआ जब, देशभक्ति का मान किया।
हर सैनिक की बाहें बन कर, दुश्मन पर चढ़कर वार किया।८।
ताशकंद का समझौता भी, कुछ षणयंत्रों की साजिश थी।
भीतर बैठे जयचंदों से, तुुमने हार कभी ना मानी थी।९।
रात्रिभोज को लेते ही वह, आखिर कैसे निष्प्राण हुया।
ताशकंद की धरती पर ही, लाल वहाँ कुर्बान हुआ।१०।
आखिर कैसे माफ करें हम, देश के उन्हीं गद्दारों को।
जाति धर्म नफरत की बोली, बोलने वाले मक्कारों को।११।
हर घर जन्मे लाल बहादुर, आओ यह संकल्प करें।
जन्मदिवस पर हम सब उनके, सुंदर सपनों को साकार करें।१२।
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