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अक्टूबर- 2 | ऑनलाइन बुलेटिन

©संजय वासनिक, वासु 

परिचय- चेंबुर, मुंबई.


 

गांधीजी याने की अपने बापू का..

जन्मदिन हमारे साथ …

शेअर करके जश्न मनाते हो …

और वास्ता उनका देकर,

हमसे झाड़ू लगवाते हो…

 

स्वछता के नाम पर,

कामयाबी की बात करते हो …

और बडे आसानी से देश के,

बहादुर “लाल” को भूल जाते हो …

 

भूल भी गये बहादुर लाल को,

तो कम से कम “अटल” नारा ही दे देते…

काश कि उस लाल की,

बहादुर बातें, हमसे शेअर करते….

 

“जय जवान- जय किसान”,का नारा…

बडे जोश के साथ लगाते…

जवानों का हौसला इतना बढा देते,

जांबाजो को ना आत्मक्लेश होता…

ना सिमापार से गोली चलती …

कभी सरहद घायल ना होती …

ना किसी आदमखोर की,

सिमापार आने की हिंम्मत होती …

 

“जय किसान” जो हम सब कहते..

झाडु के जगह, कुछ बिज और दाना ..

थोडा खाद हमारे हाथ मे थमा देते…

ट्रेक्टर नहीं तो हल ही चला लेते ..

जल की हिस्सेदारी सबकी होती …

एक नदी दुजी को पाणी देती…

 

हर जगह खेत खलिहान लहलहाते …

अल्लड चोर पंछियों के चुगने पर भी..

ईंसानो के लिये दाना बचाते ..

हर खलिहान मे फसलें लहराती..

और फिर किसी किसान की…

“बेटी” कभी ना बिलखती …

किसान बेटी कभी ना रोती …

 

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प्यारे बापू | ऑनलाइन बुलेटिन

 

 


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