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एक चुस्की शराब की | Newsforum

©डॉ. संतराम आर्य, वरिष्ठ साहित्यकार, नई दिल्ली

परिचय : जन्म 14 फरवरी, 1938, रोहतक।    


 

दोस्तों से मिल गई थी

एक चुस्की शराब की

होठों से लगी तो जाना कितनी खराब थी ….

 

फिर भी मैं पी गया था सारी

जीने के वास्ते

दोस्त शाबाशी दे रहे थे मेरे रूआब की ….

 

दस्तों से मिल गई थी एक चुस्की शराब

की ।

 

देर से गए थे घर बीवी की आगोश में मेरी आवाज बंद

बीवी बेनकाब थी !

 

दोस्तों से मिल गई थी एक चुस्की शराब की

होठों से लगी तो जाना कितनी खराब थी ….


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